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आज आवश्यकता है गौ रक्षा की

“गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुर्गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः॥”
गुरु की कृपा से ही सभी कार्य सफ़ल होते हैं, ऐसा मेरा मानना है। गुरु की कृपा हुई तो गौ धाम भी बन गया और मुझे गौ रक्षा की प्रेरणा मिली। गौ सेवा तो सभी लोग करते हैं, लेकिन आवश्यकता गौ रक्षा की है।
भारतीय संस्कृति में हर जीव पर प्रेम और दया रखना ही मानवता है, किन्तु गाय एक ऐसा जीव है जिसके प्रति मनुष्य ह्रदय में प्रेम और दया के साथ श्रद्धा का भाव भी जागता है और इसीलिए गाय को देवतुल्य मानकर पूजा जाता है और गोमाता कहा जाता है ।
सदियों से यही होता आया है, लेकिन गोवंश को लेकर वर्तमान परिदृश्य बदल चुका है।
आज भारत में देशी गोवंश की अनेक नस्लें या तो समाप्त हो चुकी हैं या फिर उनकी संख्या गिनी-चुनी ही रह गई है।
देशी गोवंश की सुरक्षा, नस्ल सुधार और संवर्धन के लिए अब ‘गौ रक्षा’ करनी होगी। ‘गौ रक्षा’ में ही ‘गौ सेवा’ निहित है, इसलिए गोवंश की रक्षा करने से गौ सेवा का पुण्य भी प्राप्त होगा, जो कई गुना अधिक होगा, क्योंकि ‘जीवन रक्षा’ का कर्म सर्वोपरि है। इसलिए अब ‘गौ भक्ति’ और ‘गौ सेवा’ को ‘गौ रक्षा’ में बदलने का समय आ गया है।

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उमा कल्याण ट्रस्ट ‘गौ रक्षा’ के अपने उद्देश्य को लेकर आगे बढ़ रहा है। लेकिन इसके लिए समाज का सहयोग आवश्यक है, तभी गोवंश को सुरक्षित किया जा सकता है। सरकार योजनाएँ बनाती है, लेकिन उसके क्रियान्वयन के लिए सरकार की अपनी सीमाएँ हैं-बाध्यता है, इसलिए हमें सरकार के साथ क़दम से क़दम मिलाकर काम करना होगा।
मथुरा जनपद में हम यही कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश की सहभागिता योजना से किसानों को गोपालन के लिए गाय दी जा रही है। इसके साथ ही गाय के चारे के लिये प्रति माह 1500 रुपये भी दिये जा रहे है। उमा कल्याण ट्रस्ट सरकार की सहभागिता योजना के क्रियान्वयन में पूरा सहयोग कर रहा है। इसके लिए गौ धाम, वृंदावन में एक अलग से टीम बनाई है, जो इस कार्य को कर रही है। ये टीम सहभागिता योजना की कागज़ी कार्यवाही पूरी करती है, गाय दिलाती है और बाद में गोपालक किसान के घर में पल रही गाय के स्वास्थ्य, चारा आदि के बारे में भी देखभाल करती है तथा गोपालन में आ रही परेशानियों को दूर करने का प्रयास करती है।
उमा कल्याण ट्रस्ट गोशालाओं में गोवंश के रख रखाव पर भी ध्यान दे रहा है। किसान को स्वस्थ गोवंश देने के लिए मथुरा जनपद के राया ब्लॉक में सियरा ग्राम पंचायत की गोशाला का कुछ समय तक संचालन भी किया। यहाँ आवारा गोवंश को आश्रय देखकर उनकी अच्छी तरह से देखभाल की गई और फिर स्वस्थ होने पर उन्हें किसान को पालने के लिए दे दिया गया।
वर्तमान में उमा कल्याण ट्रस्ट की गोधाम टीम मथुरा की राल गोशाला में गोवंश के रख रखाव, स्वास्थ्य, आहार आदि के लिए अपनी सेवाएँ दे रही है। गोशाला में काम करने वाले ग्वालों और किसान परिवार के बच्चों की शिक्षा का प्रबंध करने के लिए गुरुकुल बनाने की योजना पर भी काम चल रहा है। नेपियर घास उगाने का प्रयास भी कर रहे हैं, जिससे गोवंश को पर्याप्त हरा चारा उपलब्ध हो सके।
महाराष्ट्र में देशी गाय को ‘राज्य माता’ का दर्ज़ा दिया गया है। ऐसा करने वाला महाराष्ट्र देश का पहला राज्य है। हम आशा करते हैं कि शीघ्र ही पूरे देश में गौ माता को उसका सम्मान और दर्ज़ा अवश्य मिलेगा। इसके अलावा महाराष्ट्र सरकार ने गोशालाओं में स्वदेशी गायों के पालन-पोषण के लिये प्रति गाय 50 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से प्रतिमाह 1500 रुपये की सब्सिडी योजना भी लागू की है। इससे गायों को चारा उपलब्ध कराने और देशी नस्ल के संरक्षण में गोशालाओं को काफ़ी मदद मिलेगी।
गोवंश के संरक्षण और संवर्धन के लिए गोशाला आदर्श आश्रय स्थल हो, ये आवश्यक है; लेकिन गोवंश का स्वाभाविक परिवार किसान का घर ही है, जहाँ वो सुखी और सुरक्षित रह सकता है। किसान भी इस वास्तविकता से परिचित हो रहा है कि गोवंश उसके लिए कितना उपयोगी है।
किसानों और गोवंश दोनों का कल्याण हो, उमा कल्याण ट्रस्ट इस दिशा में भी निरंतर प्रयास कर रहा है। इस प्रयास में सभी का सहयोग मिलेगा और गोसेवा- गोरक्षा के यज्ञ में आप सभी योगदान देंगे, ऐसा विश्वास है।

श्रीनारायण अग्रवाल
प्रधान संपादक, गौ धाम संदेश

(संपादकीय, साभार : गौ धाम संदेश)

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