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राष्ट्रमाता विशेषांक

समाज-धर्म और प्राणिमात्र के कल्याण के लिए ‘उमा कल्याण ट्रस्ट’ विगत तीन दशकों से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करता आ रहा है। कर्तव्य – पथ पर चलते हुए ‘उमा कल्याण ट्रस्ट’ ने भारतीय संस्कृति की संवाहक ‘गौ माता’ के संरक्षण – संवर्धन के लिए ‘गौ धाम योजना’ प्रारंभ की है, जिसका सूत्र वाक्य है ‘गोवंश की घर वापसी’ अर्थात् गोवंश की अपने घर किसान परिवार में वापसी हो। गौ धाम योजना के अंतर्गत मथुरा जनपद में किसान को गोवंश दिलवाने का कार्य सफलतापूर्वक किया जा रहा है। शीघ्र ही इस योजना का अन्य राज्यों में भी विस्तार किया जाएगा।
गोवंश किसान पर बोझ न बने और गोपालन से किसान आत्मनिर्भर हो, इसके लिए जो आवश्‍यक कदम उठाये गए हैं वो इस प्रकार हैं:-

  1. किसान परिवार को विशेषज्ञों द्वारा गोबर और गोमूत्र से जैविक खाद, जैव उर्वरक, जैविक कीटनाशक तथा दीपक, धूपबत्ती आदि गौ उत्पाद बनाने का निःशुल्क प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
  2. गौ उत्पाद बनाने के लिए मोल्ड (सांचे) निःशुल्क दिये जा रहे हैं।
  3. गोवंश के स्वास्थ्य की देखरेख के लिए डॉक्टर और एंबुलेंस की व्यवस्था की जाती है।
  4. ग्वालों को प्रशिक्षित किया जा रहा है कि वो किस प्रकार गोवंश की देख रेख करें, कैसे दूध कैसे निकालें, बीमारी होने पर कैसे उपचार करें आदि।
  5. गोवंश को हरा चारा मिलता रहे, इसके लिए नेपियर आदि चारा फसल उगाने के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है।
  6. गोवंश के प्रति जन जागरण के लिए गौ रथ का संचालन किया जा रहा है।
  7. इसके अतिरिक्त जन जागरण के लिए ‘गौ धाम संदेश’ पत्रिका प्रकाशन, सोशल मीडिया, वीडियो और विभिन्न प्रचार माध्यम द्वारा प्रचार-प्रसार किया जा रहा है।   
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प्रत्येक देशवासी के हृदय में गोवंश को लेकर पीड़ा है, फिर भी प्रतिदिन लाखों गोवंश की निर्मम हत्या हो रही है। ये विडंबना ही है कि गाय जब तक दूध देती है, तब तक किसान उसे अपने पास रखता है, लेकिन नर गोवंश, बछड़े, बिनदुधारू, बूढ़ी, अपाहिज, बीमार गाय को उपयोगी न मानकर किसान मरने के लिए छोड़ देता है अथवा कसाई को बेच देता है।
गौ धाम योजना का प्रयास है कि किसान ख़ुशी-ख़ुशी गोवंश का पालन-पोषण करे, किसी भी स्थिति में गोवंश को न छोड़े तथा उसके गोबर और गोमूत्र के उपयोग से ख़ुशहाल जीवन व्यतीत करें। इससे आवारा गोवंश पर रोक लगेगी, गोवंश का कटना बंद होगा तथा गोबर-गोमूत्र से प्राकृतिक खेती में किसानों को लाभ मिलेगा।
निराश्रित गोवंश के लिए भले ही गोशालाएं अथवा पिंजरापोल गोआश्रय का मुख्य केंद्र बने हुए हैं, लेकिन सच्चे अर्थों में आज भी गोवंश का आश्रय स्थल – उसका घर किसान परिवार ही है। किसान परिवार में ही गौ माता को आदर-सम्मान और सुरक्षा मिल सकती है। इसलिए ‘गौ धाम योजना’ द्वारा किसान के घर को ‘गौ धाम’ बनाने का संकल्प लिया गया है, जिससे गोवंश अपने घर अर्थात किसान परिवार में सुख से रह सके। इस प्रकार गोवंश की रक्षा होगी, कृषि उन्नत होगी, किसान आत्मनिर्भर होगा और ‘गौ संस्कृति’ की पुनर्स्थापना होगी।
इसके लिए गौ धर्म, गौ संस्कृति, गोवंश की उपयोगिता, संरक्षण-संवर्धन, गो उत्पाद, गौ आधारित खेती आदि ऐसे अनेक ऐसे विषय हैं, जिन्हें एक ग्रंथ के रूप में संग्रहीत करके जन-जन तक पहुँचाने की आवश्यकता है। इसीलिए उमा कल्याण ट्रस्ट ने ‘राष्ट्रमाता विशेषांक’ प्रकाशित करने की योजना बनाई है।
‘राष्ट्रमाता विशेषांक’ में इन सभी विषयों के साथ-साथ गोवंश के प्रति आस्था रखने वालों का परिचय, उनके विचार और गोवंश के संरक्षण-संवर्धन के लिये किए जा रहे कार्यों का लेखा-जोखा प्रकाशित किया जाएगा, जिससे ‘गौ संस्कृति’ की पुनर्स्थापना का मार्ग प्रशस्त हो सके।  

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