अडानी फाउंडेशन का मिल रहा सहयोग
जैविक खेती का महत्व भारत के किसानों से ज्यादा और कोई नहीं समझ सकता है। भारत में हजारों वर्षों से चली आ रही ऑर्गेनिक खेती को तब झटका लगा जब बढ़ती जनसंख्या और मौसम में बदलाव के चलते लोगों तक खाद्य वस्तुओं की तेजी से आपूर्ति करने के लिए खेती में रासायनिक उर्वरक, केमिकल्स, कीटनाशक और कई जहरीली वस्तुओं का इस्तेमाल होना शुरू कर दिया गया।
इन वस्तुओं के इस्तेमाल से न सिर्फ इंसानों की सेहत पर असर पड़ा बल्कि इससे वातावरण को भी काफी नुकसान पहुंचा। इन्हीं सब कारणों की वजह से लोगों का ध्यान एक बार फिर से जैविक खेती की ओर आकृष्ट होना शुरू हुआ है। लेकिन किसानों के पास जैविक खेती से जुड़ी ज्यादा जानकारी उपलब्ध न होने के कारण उन्हें कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। किसानों की इस परेशानी को दूर करने के लिए अडानी फाउंडेशन अपनी महती भूमिका निभाते हुए गोंदिया और आसपास के जिलों के किसानों को गौ आधारित शून्य बजट जैविक खेती के लिए न केवल न केवल प्रोत्साहित कर रहा है वरन उन्हें नागपुर के देवलापार स्थित गौ-विज्ञान अनुसन्धान केंद्र भेजकर उनके प्रशिक्षण की व्यवस्था भी कर रहा है।
एक मुलाकात में अडानी फाउंडेशन के सीएसआर हेड नितिन शिरालकर ने जैविक खेती के महत्त्व के बारे में बताते हुए कहा कि पारम्परिक रासायनिक खेती ने न केवल हमारे स्वास्थ्य को ख़राब कर दिया है, बल्कि इसने मिटटी के स्वास्थ्य को भी ख़राब कर दिया है। भूमि की उर्वरा शक्ति का पूरी तरह से ह्रास हो चुका है, इससे बचने का एकमात्र उपाय जैविक खेती है।
नितिन शिरालकर ने बताया कि अडानी फाउंडेशन की ओर से किसानों को जैविक खेती करने के लिए प्रोत्साहित किये जाने का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि आसपास के गांवों के किसानों को हम देवलापार अनुसन्धान केंद्र में भेजकर उन्हें गौमूत्र से विभिन्न जैविक उर्वरक और फसलों की सुरक्षा के लिए जैविक कीटनाशक बनाने का प्रशिक्षण देते हैं। उन्होंने बताया कि फाउंडेशन के सहयोग से अबतक लगभग ढाई हजार से भी अधिक किसानों ने प्रशिक्षण लिया है। प्रशिक्षित किसानों द्वारा शून्य लगत के बावजूद अधिक उपज प्राप्त करता देखकर अगल-बगल के अन्य किसान भी गौ आधारित जैविक खेती की ओर उन्मुख हो रहे हैं।
नितिन शिरालकर ने जैविक खेती के फायदे बताते हुए कहा कि जैविक खेती करने पर भूमि, जल और वायु प्रदूषण बहुत कम होता है। इसमें किसी भी प्रकार के रासायनिक पदार्थों, कीटनाशकों और केमिकल फर्टिलाइजर्स का इस्तेमाल नहीं होता है इसलिए पौष्टिक और जहर मुक्त भोजन का उत्पादन होता है। जैविक खेती करने पर मिट्टी के पोषण को भी बढ़ावा मिलता है और इससे मिट्टी की उर्वरता में भी सुधार होता है। यह किसानों के लिए काफी लाभदायक होता है क्योकि इसमें पानी का इस्तेमाल बहुत कम होता है। जैविक खेती ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के कई अवसर प्रदान करता है जिससे किसानों और मजदूरों की आर्थिक हालातों में भी सुधार होता है।