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गोकशी के ख़िलाफ़ क़ानून

गोकशी को रोकने के लिए समय – समय पर आवाज़ उठती रही है. आज़ादी के बाद 1966 में हिंदू ऑर्गनाइजेशन ने गोकशी को पूरी तरह बंद कराने का कानून बनाने की मांग पुरज़ोर तरीके से रखी. शंकराचार्य निरंजनदेव तीर्थ ने इसके लिए अनशन किया. साथ में स्वामी करपात्री और महात्मा रामचंद्र वीर भी थे. रामचंद्र वीर ने तो 166 दिन लंबा अनशन किया था. गोकशी के खिलाफ कानून बनाने की मांग लेकर 7 नवंबर, 1966 को संसद का घेराव किया गया. प्रचंड आंदोलन हुआ. लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने गोकशी पर बैन लगाने की मांग खारिज कर दी.

केंद्रीय क़ानून की मांग

समय-समय पर गोहत्या के खिलाफ मज़बूत कानून बनाने की मांग होती रही. बीजेपी सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी राज्यसभा में ‘गो-संरक्षण बिल-2017’ पेश कर चुके हैं. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत गोहत्या के ख़िलाफ़ देशभर में एक क़ानून बनाने की पुरज़ोर वकालत करते रहे हैं. फिलहाल गोहत्या के खिलाफ कानून बनाने का अधिकार राज्यों के पास है. कई राज्यों ने अपने यहां इन कानूनों में समय-समय पर बदलाव किया है. 

उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश गोवध निवारण क़ानून, 1955 (Uttar Pradesh Prohibition of Cow Slaughter Act, 1955) में संशोधन के बाद उत्तर प्रदेश में गाय की हत्या पर 10 साल तक की सज़ा और तीन से पांच लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है. गोवंश के अंग-भंग करने पर सात साल की जेल और तीन लाख तक जुर्माना हो सकता है. दूसरी बार गोकशी का आरोप साबित होने पर सज़ा दोगुनी हो जाएगी. क़ानून में ‘गैंगस्टर एक्ट’ के तहत कार्रवाई और संपत्ति ज़ब्त करने का भी प्रावधान है.

बिहार

बिहार संरक्षण और पशु सुधार अधिनियम, 1955 (Bihar Preservation and Improvement of Animals Act, 1955) के तहत बिहार में गाय और बछड़े का वध पूरी तरह से प्रतिबंधित है. अगर गोवंश 15 साल या उससे अधिक की उम्र का है, उसे कोई बीमारी है, स्थाई रूप से काम करने या प्रजनन के लिए अक्षम हो गया है, तो उसके वध के लिए प्रशासन से अनुमति लेनी होगी. अगर कोई कानून का उल्लंघन करता है, तो उसे छह महीने की सजा और एक हजार रुपये का जुर्माना देना होगा. बिहार से गायों, बछड़ों, बैल के निर्यात की अनुमति नहीं है.

गुजरात

गुजरात ने गोवंश की हत्या से जुड़े कानून में 2017 में बदलाव किया था. गुजरात पशु संरक्षण संशोधन विधेयक के लागू होने के बाद गोहत्‍या के दोषियों को उम्रक़ैद की सज़ा, न्यूनतम 10 साल की जेल हो सकती है. किसी के पास गोमांस मिलता है, तो उसे सात से 10 साल की सज़ा होगी. गोवंश के साथ पकड़े जाने पर जमानत नहीं होगी. गोमांस की हेराफेरी करते हुए पकड़े जाने पर सात से 10 साल तक की सज़ा और एक से पांच लाख तक का जुर्माना. गाय की तस्‍करी पर सख़्त पाबंदी. गोमांस ले जाते हुए जो वाहन पकड़े जाएंगे, वो वाहन हमेशा के लिए जब्‍त हो जाएंगे.

हरियाणा

हरियाणा ने अपने यहां गोहत्या से जुड़े कानून में 2015 में बदलाव किया था. हरियाणा गोवंश संरक्षण और गोसंवर्धन विधेयक-2015 के कानून बनने के बाद गोहत्या पर तीन से 10 साल की कैद और एक लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान है. ये गैरजमानती अपराध है. गोकशी के लिये गाय ले जाने वाले को कम से कम तीन साल की कैद और तीन हजार रुपये जुर्माना, अधिकतम सात साल की कैद व 70 हजार रुपये जुर्माना हो सकता है. गोमांस बेचने वाले को कम से कम तीन साल की कैद व तीस हजार रुपये जुर्माना, अधिकतम पांच साल की कैद और 50 हजार रुपये जुर्माना.

महाराष्ट्र

महाराष्ट्र ने 2015 में महाराष्ट्र जीव संरक्षण विधेयक, 1995 में बदलाव किया. इस कानून के मुताबिक गोहत्या अपराध है. गोमांस बेचने वाले और रखने वाले को पांच साल तक की जेल और दस हजार तक का जुर्माना हो सकता है. राज्य के भीतर या बाहर वध किए गए गोवंश का मांस रखना अपराध है, इसके लिए दंड देने का प्रावधान है.

राजस्थान

राजस्थान में गोवंश की हत्या पर पूरी तरह से प्रतिबंध है. कानून का उल्लंघन करने पर कम से कम एक साल और अधिक से अधिक दो साल की सजा का प्रावधान है. इसके अलावा 10 हज़ार रुपये तक का जुर्माना भी हो सकता है.

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना

आंध्र प्रदेश गोहत्या और पशु संरक्षण अधिनियम, 1977 (Andhra Pradesh Prohibition of Cow Slaughter and Animal Preservation Act, 1977) के तहत गाय की हत्या पर पूरी तरह प्रतिबंध है, लेकिन गोवंश, जैसे बैल या बछड़े के काटने पर सख्त प्रतिबंध नहीं है. आर्थिक तौर पर या प्रजनन के लिए उपयोगी न होने पर प्रशासनिक अनुमति के बाद उनका वध किया जा सकता है. कानून का उल्लंघन करने वालों के लिए छह महीने की सजा और एक हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान है.
तेलंगाना में भी आंध्र प्रदेश की तरह ही कानून लागू है.

जम्मू-कश्मीर

जम्मू-कश्मीर में गोवंश की हत्या पर पूरी तरह प्रतिबंध है. कानून का उल्लंघन करने पर 10 साल की सजा हो सकती है. गोवंश की कीमत का पांच गुना जुर्माना भी लगाया जा सकता है.

झारखंड

झारखंड में गोवंश की हत्या और गोवंश का मांस कहीं लाने-ले जाने पर प्रतिबंध है. कानून का उल्लंघन करने पर कम से कम एक साल और अधिक से अधिक 10 साल की सजा का प्रावधान है.

छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ कृषि पशु परिरक्षण अधिनियम-2004 (Chhattisgarh Agriculture Cattle Prevention Act, 2004) के मुताबिक गोवंश की हत्या पर पूरी तरह से प्रतिबंध है. कानून का उल्लंघन करने पर सात साल की सजा या फिर 50 हज़ार रुपये का जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान है.

दिल्ली

दिल्ली में भी गोवंश की हत्या पूरी तरह प्रतिबंधित है. कानून का उल्लंघन करने पर कम से कम छह महीने और अधिकतम पांच साल की सजा का प्रावधान है. ऐसे मामले में कम से कम एक हज़ार और अधिकमत 10 हजार का जुर्माना हो सकता है.

ओडिशा.

ओडिशा में गाय की हत्या पर पूरी तरह प्रतिबंध है. 14 साल से ज्यादा उम्र के सांढ़ और बैल को अथॉरिटी से सर्टिफिकेट मिलने के बाद मारा जा सकता है. कानून का उल्लंघन करने पर अधिकतम दो साल की सज़ा और एक हज़ार रुपये के जुर्माने का प्रावधान है.

कर्नाटक

कर्नाटक में गाय और बछिया की हत्या पर पूरी तरह से प्रतिबंधित है. 12 साल से ज्यादा उम्र के बैल और सांढ़ को अगर अथॉरिटी बूचड़खाने के योग्य मानती है, तो उन्हें काटा जा सकता है. कानून का उल्लंघन करने पर छह महीने की सजा या एक हज़ार रुपये का जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान है.

मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश में गोहत्या पर पूरी तरह से प्रतिबंध है. अगर बैल या सांढ़ की उम्र 15 साल से ज्यादा है और वो न तो खेती के योग्य है और न ही प्रजजन के, तो उसे मारा जा सकता है. कानून का उल्लंघन करने पर तीन साल की सजा और पांच हज़ार रुपये का जुर्माना हो सकता है.

उत्तराखंड

उत्तराखण्ड गो वंश संरक्षण अधिनियम, 2007 (The Uttarakhand Protection of Cow Progeny Act, 2007) के मुताबिक गोवंश की हत्या पर पूरी तरह से प्रतिबंध है. कानून का उल्लंघन करने पर कम से कम तीन साल और अधिक से अधिक 10 साल की सजा हो सकती है. 10 हजार रुपये का जुर्माना भी हो सकता है.

गोवा

गोवा पशु संरक्षण अधिनियम, 1995 (Goa Animal Preservation Act, 1995) के मुताबिक राज्य में गाय की हत्या पर प्रतिबंध है. अगर गाय को दर्द है, उसे कोई संक्रामक बीमारी है या फिर मेडिकल रिसर्च के लिए उसकी ज़रूरत है, तो उसे मारा जा सकता है. गाय का मांस बेचना पूरी तरह से प्रतिबंधित है. बैल, सांड या फिर बछड़े को अगर अथॉरिटी मारने योग्य करार दे देती है, तो उसे मारा जा सकता है. कानून का उल्लंघन करने पर दो साल की सजा या एक हजार रुपये का जुर्माना या फिर दोनों ही हो सकता है.

पुडुचेरी

पुडुचेरी में गोवंश की हत्या पर पूरी तरह प्रतिबंध है. 15 साल से ज्यादा उम्र के बैल और सांढ़ को सर्टिफिकेट मिलने के बाद मारा जा सकता है. बीफ के बेचने या कहीं ले जाने पर पूरी तरह से रोक है. कानून का उल्लंघन करने पर दो साल की सजा और 1,000 रुपये का जुर्माना हो सकता है.

असम और पश्चिम बंगाल में कानून के तहत उन पशुओं को काटा जा सकता है, जिन्हें ‘फिट फॉर स्लॉटर सर्टिफिकेट’ मिला हो. ऐसे पशुओं की उम्र 14 साल से ज़्यादा हो, या वो प्रजनन या काम करने के योग्य न हों.

अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मेघालय, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा में गोवंश की हत्या को लेकर कोई कानून नहीं है. मणिपुर में गोवंश की हत्या पर आंशिक तौर पर प्रतिबंध है.

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