गाय के गोबर को पवित्र माना जाता है. पूजा-पाठ कई प्रकार से गाय के गोबर का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि गाय के गोबर में लक्ष्मीजी का निवास है. गाय के गोबर से ही लक्ष्मीजी का स्वरुप ‘गौरजा’ बनाकर पूजन किया जाता है. गाय के गोबर से लक्ष्मीजी सहित अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियाँ बनाई जाती हैं. सबसे पहले गोबर को सुखाकर उसका बुरादा तैयार कर लिया जाता है. इसके बाद बाजार में मिलने वाले मूर्तियों के सांचे में लकड़ी का बुरादा, और फ़ेवीकोल के साथ सूखे गोबर के बुरादे को मिलाकार भर दिया जाता है. चार-पांच दिन बाद मूर्ति तैयार हो जाएगी.
गोबर से बनी मच्छर मार अगरबत्ती
मच्छरों को मारने के लिए मच्छरमार अगरबत्ती या फिर कॉइल का इस्तेमाल किया जाता है. जो कई तरह के रसायनों से बनाये जाते हैं, इसलिए मानव शरीर के लिए ये बहुत ही हानिकारक है.
मच्छरों को मारने के लिए गोबर से बनी अगरबत्ती रसायन रहित होती है. इसके जलने की गंध के कारण मच्छर एवं कीड़े – मकोड़े या तो मरते हैं या तो भाग जाते हैं.
गोबर से बना प्लास्टर
गाय के गोबर से एक ऐसा प्लास्टर बनाया जा रहा है, जिसका उपयोग करने से गांव के कच्चे घरों जैसा सुकून मिलता है. साफ़-सफाई और बीमारियों पर नियंत्रण के लिए पहले की तरह अब घरों में गोबर की लिपाई नहीं होती. ये काम अब गाय के गोबर से बना प्लास्टर कर रहा है. गाय के गोबर में प्रोटीन होता है, जो घर की हवा को शुद्ध रखने का काम करता है.
गाय के गोबर से बना प्लास्टर अग्निरोधक और उष्मा रोधी होता है. इससे सस्ते और इको फ्रेंडली मकान बनाये जाते हैं.
गोबर माला
गाय के गोबर से कई प्रकार की माला बनाई जाती है. बताया जाता है कि ‘गोबर माला’ गले में रहने से स्नानु संबंधी रोगों में आराम मिलता है.
गोबर की आकर्षण चूड़ियां
गाय के गोबर से आकर्षण चूड़ियां बनाई जातीं हैं। इन चूड़ियों का रोगोपचार में महत्व बताया गया है.
गाय के गोबर से लकड़ी
गाय के गोबर से हवन की लकड़ी बनाई जाती हैं, जिसका उपयोग पूजा पाठ के दौरान हवन में आग प्रज्ज्वलित करने के लिए किया जाता है. इसके अलावा अन्य अलग-अलग कामों में भी गाय के गोबर से बनी लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है. गोबर से बनी लकड़ी काफी समय तक जलती रहती हैं, इसलिए आग जलाने के लिये इसका उपयोग किया जाता है। गोबर से लकड़ी बनाने की मशीन भी आती हैं, जिसमें विभिन्न प्रकार के डाई लगे रहते हैं, जो गोबर को लकड़ी का आकार प्रदान करते हैं. इसके बाद इसे अच्छी तरह से सुखा लिया जाता है.
गाय के गोबर से इको-फ्रेंडली दीये
गाय के गोबर से अलग-अलग तरह के इको-फ्रेंडली दीये बनाये जा रहे हैं. इन दीयों को गाय के गोबर, घी और इसेंशियल ऑयल से तैयार किया जाता है. गाय के गोबर से बने होने के कारण ये दीये नष्ट होने पर मिट्टी में मिलकर खाद का काम करते हैं यानि इन दीये को इधर-उधर फेंकने के बजाय इनका उपयोग खाद के तौर पर भी सकते है. इन दीये में लेमन ग्रास और मिंट जैसे इसेंशियल्स का भी इस्तेमाल किया गया हैं, जिससे दीयो को जलाकर मच्छरों को भी दूर भगाया जा सकता है. इन दीयों से आने वाली सुगंध वातावरण को सुगन्धित करती है जिससे आस-पास की नकारात्मकता दूर होती है. ये सुगंध नर्व्स को रिलैक्स करके पूरी तरह से आराम देती है.
गौमूत्र की विशेषताएं
- गौमूत्र को सबसे उत्तम औषधियों माना गया है.
- गौमूत्र से बनी औषधियों से कैंसर, ब्लड प्रेशर, आर्थराइटिस, सवाईकल हड्डी संबंधित रोगों का उपचार संभव है।
- गौमूत्र कैंसर जैसे असाध्य रोगों को भी जड़ से दूर कर सकता है. गौमूत्र चिकित्सा वैज्ञानिक कहते हैं कि गाय का लिवर 4 भागों में बंटा होता है. इसके अंतिम हिस्से में एक प्रकार का एसिड होता है, जो कैंसर जैसे रोग को जड़ से मिटाने की क्षमता रखता है. गौमूत्र का खाली पेट प्रतिदिन निश्चित मात्रा में सेवन करने से कैंसर जैसा रोग भी नष्ट हो जाता है.
- गौमूत्र के सेवन से प्लीहा और यकृत रोग नष्ट हो जाते हैं. यकृत, प्लीहा बढ़ना पर 5 तोला गोमूत्र में एक चुटकी नमक मिलाकर पिएं या पुनर्नवा के क्वाथ को समान भाग गोमूत्र मिलाकर लें. प्रभावित स्थान पर गोमूत्र में कपडा भिगोकर हल्की-हल्की सिंकाई करने से भी आराम मिलता है.
- दांत दर्द एवं पायरिया में गोमूत्र से कुल्ला करने से लाभ होता है.
- गोमूत्र में एक चौथाई चम्मच फूली हुई फिटकरी मिलाकर सेवन पुराना जुकाम, नजला, श्वास सम्बन्धी रोग दूर हो जाते हैं.
- सुबह-शाम 4 चम्मच गोमूत्र का सेवन करना हृदय और मधुमेह रोगियों के लिए लाभकारी होता है.
- गौ-मूत्र से मोटापा कम किया जा सकता है. गौ-मूत्र में विटामिन्स पाये जाते हैं जो वजन घटाने में मदद करते हैं. इसके लिए आधे गिलास ताजे पानी में 4 चम्मच गोमूत्र, 2 चम्मच शहद तथा 1 चम्मच नींबू का रस मिलाकर नित्य सेवन करें.
- गोमूत्र पाचन तंत्र को बेहतर करता है.
- गोमूत्र के प्रयोग से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है. इसके लिए दर्द वाले स्थान पर गोमूत्र से सेंक करें और सर्दी में जोड़ों का दर्द होने पर एक ग्राम सोंठ के चूर्ण के साथ गोमूत्र का सेवन करें.
- उच्च रक्तचाप होने पर एक चौथाई प्याले गोमूत्र में एक चौथाई चम्मच फूली हुई फिटकरी डालकर सेवन करें और दमा के रोगी को छोटी बछड़ी का 1 तोला गोमूत्र नियमित पीना लाभकारी होता है।
- पीलिया में 15 दिन तक 200-250 मिली गोमूत्र पीने से लाभ होता है.
- कब्ज या पेट फूलने पर गोमूत्र छानकर उसमें आधा चम्मच नमक मिलाकर पियें.
- गैस की समस्या में प्रात:काल आधे कप गोमूत्र में नमक तथा नींबू का रस मिलाकर पिलाएं. पुराने गैस के रोग के लिए गोमूत्र को पकाकर प्राप्त किया गया क्षार भी गुणकारी है.
- कब्ज की समस्या होने पर हरड़ के चूर्ण के साथ गोमूत्र सेवन करें.
- चर्मरोग में नीम, गिलोय क्वाथ के साथ सुबह-शाम गोमूत्र का सेवन करने से रक्तदोषजन्य चर्मरोग नष्ट हो जाता हैं. इसके अलावा चर्मरोग होने पर ज़ीरे को महीन पीसकर गोमूत्र मिलाकर लेप करना भी लाभकारी है.
- पेट में कृमि (कीड़े) होने पर आधा चम्मच अजवाइन के चूर्ण के साथ 4 चम्मच गोमूत्र एक सप्ताह तक सेवन करने से लाभ मिलता है.
- गाय के मूत्र में पोटैशियम, सोडियम, नाइट्रोजन, फॉस्फेट, यूरिया, यूरिक एसिड होता है. दूध देते समय गाय के मूत्र में लैक्टोज की वृद्धि होती है, जो हृदय रोगियों के लिए लाभदायक है.
- गौमूत्र में प्रति-ऑक्सीकरण की क्षमता के कारण डीएनए को नष्ट होने से बचाया जा सकता है.
- गौमूत्र में पारद और गंधक के तात्विक गुण होते हैं.
- गौमूत्र में नाइट्रोजन, सल्फर, अमोनिया, कॉपर, लौह तत्व, यूरिक एसिड, यूरिया, फॉस्फेट, सोडियम, पोटैशियम, मैगनीज, कार्बोलिक एसिड, कैल्सियम, विटामिन ए, बी, डी, ई, एंजाइम, लैक्टोज, सल्फ्यूरिक अम्ल, हाइड्रॉक्साइड आदि मुख्य रूप से पाए जाते हैं.
गोमूत्र का अर्क
गोमूत्र में अनेक औषधीय गुण पाए जाते हैं. सुबह खाली पेट एक चम्मच गोमूत्र का अर्क पानी में डालकर पीने से शुगर सहित अनेक बीमारियों में लाभ पहुंचता है.
गोमूत्र का अर्क बनाने के लिए मटके में एक चौथाई गौमूत्र भरते हैं. इसके बाद मटके के नीचे आग जलाकर गोमूत्र को गर्म करते हैं. इस मटके के ऊपर ठंडे पानी से भरा एक विशेष बनावट का छोटा मटका रखते हैं. इसे शीतयंत्र कहते हैं. गोमूत्र जब भाप बनकर ऊपर उठता है तो वह शीतयंत्र में जाता है. यहां पर भाप फिर से पानी बन जाता है. इस पानी को अर्क कहा जाता है.
इस अर्क में कार्बोनिक एसिड प्राकृतिक रूप से पाया जाता है. यह दवाइयों सहित साबुन, टूथपेस्ट और सौंदर्य प्रसाधनों में भी डाला जाता है। यह एंटी बैक्टिरिया और एंटी फंगल होता है.
गोबर से बायो सीएनजी प्लांट
गोबर से बायो सीएनजी (CNG) बनाई जाने लगी है. ये वैसे ही काम करती है, जैसे घरों में LPG काम करती है. ये LPG से काफी सस्ती पड़ती है और इससे पर्यावरण भी दुष्प्रभावित नहीं होता है. बॉयो CNG प्लांट गोबर गैस की तरह काम करता है, लेकिन प्लांट से निकली गैस को बॉयो CNG बनाने के लिए अलग से मशीनें लगाई जाती हैं.