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चल वैदिक ग्राम: ISKCON Nilachal Vedic Village

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गायों के संरक्षण और संवर्धन के लिए इस्कॉन जुहू अपनी सेवाएं प्रदान कर रहा है.   

इस्कॉन नीलाचल वैदिक ग्राम में सड़कों पर भटकती और बूचड़खाने से बचाई गई बूढ़ी, कमज़ोर और ज़ख़्मी गायों को आश्रय मिला हुआ है. यहाँ पर इन गायों को प्रतिदिन चारा, और चिकित्सा सेवा प्रदान की जा रही है. 

Website :  https://iskconnvv.com

ध्यान फाउंडेशन

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ध्यान फाउंडेशन देश भर में आवारा, परित्यक्त, बीमार, घायल, अनाथ और बचाई गई गायों और सांडों की देखभाल का काम कर रहा है. भारत के लगभग हर राज्य में 30 से अधिक आश्रय स्थल  हैं, जहाँ दूध देने वाली कोई गाय नहीं है. सिर्फ़ बैल, बूढ़ी और कमज़ोर गायें हैं, जो मवेशी माफ़िया और कसाई से बचाई गई हैं. 

गायों की चिकित्सीय सुविधा के लिए पशु आपातकालीन हेल्पलाइन और 10 एम्बुलेंस सेवाएं 24 घंटे कार्यरत हैं. 

कूड़े के ढेर में प्लास्टिक खाने से बीमार गायों की प्लास्टिक हटाने की सर्जरी, कृत्रिम अंग प्रतिस्थापन की व्यवस्था भी है.

इसके अलावा समय-समय पर स्कूलों, कॉलेजों, संस्थानों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों में पशु जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. 

सड़कों पर आवारा दुर्घटनाओं को रोकने के लिए रिफ्लेक्टिव नेक बेल्ट्स और ‘नंदी उत्पाद’ के बैनर तले गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मवेशियों के कचरे से बने उत्पादों को बढ़ावा भी दिया जाता है. 

Website : https://www.dhyanfoundation.com 

गौ सेवा परिवार समिति, जयपुर

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आवारा भटकती, बूढ़ी, कमज़ोर बिनदुधारू गायों के संरक्षण और संवर्धन के उद्देश्य से वर्ष 2009 में ‘गौ सेवा परिवार समिति, जयपुर’ की स्थापना सोसाइटी अधिनियम के तहत की गई. 

समिति की आठ गौशालाएं हैं, जहाँ भारतीय नस्ल की उन गायों को पाला जाता है, जो व्यवसाय के लिए गैर-लाभकारी हैं. ‘गौ सेवा परिवार समिति’ वर्तमान में लगभग 7500 भारतीय नस्ल की गायों को संरक्षित कर रही है. 

Website : https://gausevaparivar.com

श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा

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गो वंश के संरक्षण – संवर्धन के लिए 17 सितंबर 1993 को आनंदवन पथमेड़ा से गो सेवा महाभियान का सूत्रपात हुआ. श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा की 64 शाखाओं में डेढ़ लाख से अधिक गोवंश की सेवा की जा रही है, जिनमें अपंग, लाचार, दुर्घटनाओं में घायल या बूढ़ी गएँ भी हैं।

संस्था अब तक नौ लाख से ज्यादा गाय, बैल व सांड को स्वस्थ कर किसान व गोपालकों को बांट चुकी है। 

गोधाम पथमेड़ा गोबर से कागज बनाने और गौमूत्र से दवाएं भी बनाता है। गोपालक दूध न देने वाली गायों को छोड़ न दें इसके लिए 5 रुपए लीटर गोमूत्र खरीदा जाता है। हर दिन 10 हजार लीटर का संकलन होता है। संस्था के औषधालय में फिनाइल, अर्क से लेकर 30 से ज्यादा तरह की दवाओं तक का निर्माण किया जाता है। 

Website : https://www.godhampathmeda.org 

गो सेवी संस्थाएं

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गाय माता के सामान पूज्यनीय है. इसकी हर तरह से सेवा और रक्षा करना पुण्य कर्म माना जाता है. गो संरक्षण-संवर्धन के लिए देश भर में अनेक गौ सेवी संस्थाएं कार्य कर रही हैं. गौवंश की उचित देखभाल, भरण-पोषण, स्वास्थ्य की देखरेख आदि के साथ-साथ कई संस्थाएं गौ उत्पाद और इसके लिए प्रशिक्षण केन्द्र भी संचालित कर रही हैं.    

धूप अगरबत्ती

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गाय के गोबर से सुगन्धित धूप अगरबत्ती बनाई जाती है. एक गाय के दिनभर में जमा होने वाले आठ से दस किलो गोबर में पांच किलोग्राम लकड़ी का बुरादा, आधा किलोग्राम चंदन पाउडर, आधा लीटर नीम का रस, 10 टिकिया कर्पूर, 250 ग्राम जौ का आटा तथा 250 ग्राम उबाला हुआ गौमूत्र मिला लें. इंजेक्शन की सीरिंज को आगे से काटकर सांचा बना लें. उसके जरिए गोबर और मिश्रण से धूप बत्ती अगरबत्ती तैयार की जा सकती है.

दंत मंजन

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गाय के गोबर में कई प्रकार की जड़ी बूटियों को मिलकर दंत मंजन बनाया जाता है. ये दन्त मंजन मुख शुद्धि के साथ -साथ पायरिया आदि मुख रोगों के उपचार के लिए भी उपयोगी है. 

गोमूत्र फिनायल

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गौमूत्र एक असरदार कीटाणुनाशक माना जाता है. साफ़-सफाई के लिए गौमूत्र से बना फिनायल अन्य कैमिकल युक्त फिनायलों से काफी अधिक प्रभावशाली होता है. इस फिनायल को बनाने में कम लागत आती है. इसलिए यह फिनायल सस्ता भी होता है. 

गौमूत्र से फिनाइल बनाने की प्रक्रिया बहुत ही सरल है. बहुत ही कम समय में बेहतर फिनाइल बनाया जा सकता है. गोमूत्र में पाइन ऑयल, पानी, सिट्रोनेला और कृत्रिम सुगंधित पदार्थ मिलाकर फिनायल बनाया जाता है. किसी विशिष्ट रंग का फिनाइल बनाना चाहते हैं, तो इसमें अपने पसंद के मुताबिक़ रंग डालकर रंगीन फिनाइल भी बना सकते हैं. 

गोमूत्र में नीम के तेल आदि प्राकृतिक चीजों का उपयोग करके हर्बल फिनाइल बनाया जाता है. इसमें किसी भी तरह के रासायनिक तत्वों का इस्तेमाल नहीं होता है, इसलिए ये फिनाइल किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. इसका उपयोग करने से बैक्टीरिया भी आसानी से मर जाते हैं.

गोबर से बने गमले

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मिट्टी और सीमेंट की तरह गाय के गोबर से भी गमले और फ्लावर पॉट बनाये जा रहे हैं. गाय के गोबर से बने गमलों की ये विशेषता है कि इसमें मिट्टी भरकर पौधे लगाने से पौधों को किसी प्रकार की हानि नहीं होती है, बल्कि इससे पौधों की तेजी से वृद्धि भी होती है. गाय के गोबर को सुखाने के बाद उसके बुरादे में लकड़ी का बुरादा और फ़ेवीकोल मिलाकर गमले और फ्लावर पॉट बनाए जा सकते हैं. 

गोबर से बनी राखी

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रक्षाबंधन के त्यौहार पर गाय के गोबर से राखियां बनाई जा रही हैं. ये राखियाँ बड़े आराम से घर में बनाई जा सकती हैं. इसे बनाने के लिए पहले गोबर के छोटे-छोटे विभिन्न आकर में बेस तैयार कर लिए जाते हैं. सूखने के बाद इन्हें रंग लिया जाता है. मांग के मुताबिक़ इसे स्टोन, मोती आदि से सजाकर मौली धागे में चिपका दिया जाता है. इस तरह से कम समय में ही राखी बनकर तैयार हो जाती है. कलाई पर बंधने से ये रेडिएशन भी दूर करने में सहायक है.