कृष्णं वंदे जगत गुरुं। पूरे विश्व के गुरु भगवान श्रीकृष्ण का वंदन करते हुए गौ रक्षा के लिए किए जा रहे श्रीनारायण अग्रवाल जी के प्रयासों की हम सराहना करते हैं और ‘गौ धाम संदेश’ पत्रिका के प्रकाशन के लिए उन्हें हार्दिक शुभकामनाएँ देते हैं।
गौ रक्षा का लक्ष्य बड़ा है, लेकिन असंभव नहीं है। हमारा मानना है कि तीन एजेंसियों – सरकार, लोगों की भावना और निजी उद्यमियों के बीच सही तालमेल से इस लक्ष्य को पाया जा सकता है।
इसी तालमेल से उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद ने विहार क्षेत्र के राल गांव में गो रक्षा का एक ऐसा मॉडल प्रस्तुत किया है जो गोवंश के प्रति लोगों की धार्मिक भावनाओं के बिल्कुल अनुरूप है।
माना जाता है कि भगवान कृष्ण इन जंगलों में घूमते थे, विहार करते थे, जिन्हें ‘वन’ के नाम से जाना जाता है। भगवान कृष्ण के इस विहार वन क्षेत्र में सरकारी जमीन का एक बड़ा हिस्सा (136 एकड़) उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद को हस्तांतरित किया गया है। दिल्ली के एक प्रमुख व्यवसायी राजेश अग्रवाल जी ने यहाँ गोशाला के निर्माण और संचालन में अपना योगदान दिया है। अब मुंबई के व्यवसायी श्रीनारायण अग्रवाल जी भी इस कार्य को आगे बढ़ाने में पूरी तरह से समर्पित भाव से जुड़ गए हैं।
हमें प्रसन्नता है कि राल गोशाला में गुरुकुल की नींव पड़ रही है, जो शीघ्र ही भारतीय शिक्षा, संस्कृति और संस्कार के प्रमुख केंद्र के रूप में अपनी विशेष पहचान बनाएगा, ऐसा हमारा विश्वास है।
पूज्य गुरुदेव ब्रह्मर्षि देवराहा बाबा का सर्वप्रिय शिष्य होने का सौभाग्य हमें प्राप्त हुआ है। ये उन्हीं की कृपा थी। उस समय हम मथुरा के एसपी थे और बाबा की कृपा से ही आज भी मथुरा में रहकर ब्रज की सेवा कर रहे हैं। बाबा ने उसी दौरान कह दिया था कि शैलेज बच्चा तुमको रिटायर होने के बाद फिर दोबारा मथुरा में आकर ब्रज की सेवा करनी है।
बाबा के कहे वचन के अनुसार हमें ब्रज क्षेत्र के विकास के बारे में योजना बनाने एवं उसे क्रियान्वित करने का सुअवसर प्राप्त हुआ है। चौरासी कोस के विराट विस्तार में फैला यह ब्रज क्षेत्र प्रभु श्री कृष्ण एवम् भगवती राधारानी की लीला स्थली है। यहां रज-रज में राधा-कृष्ण बसते है। इस स्थली को विश्व का गौरव बनाना हमारा प्रण है। बाबा जी की कृपा और शासकीय तंत्र एवं जनसहयोग के माध्यम से हम अतिशीघ्र इस उद्देश्य को प्राप्त करेंगे।
जिस समय बाबा ने अपनी देह त्यागी थी, उन्होंने हमें बुला लिया था तथा जब बाबा मचान पर देह त्याग रहे थे, उस समय भी हम मचान के नींचे मौजूद थे।
भले ही आज सशरीर बाबा हमारे मध्य नहीं हैं, किंतु उनकी दिव्यात्मा ब्रज के कण-कण में आज भी विद्यमान हैं। बाबा की कृपा से ब्रज वासियों के लिए, गौ माता के लिए, देश के लिए हम कुछ कर पायें तभी हमारा ये जीवन सार्थक होगा।
श्री शैलजा कांत मिश्र
(उपाध्यक्ष, उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद)
लेख – साभार ‘गौ धाम संदेश’