इस बार दीपावली में देशी गाय के गोबर से बने एकल के दीपों की धूम मची रही। एकल श्रीहरि की गौ ग्राम योजना के अंतर्गत ग्रामीण महिलाओं ने देशी गाय के गोबर से ये दीपक बनायें हैं। इस प्रकार ग्रामीण महिलाओं को रोज़गार मिला और गांव – शहर के लोगों को अपनी संस्कृति से जुड़ने का सुअवसर प्राप्त हुआ।
एकल के दीपक वातावरण को शुद्ध करते हैं और सकारात्मक ऊर्जा देते हैं। इन्हें बनाने में पंचगव्य के साथ ऐसे मिश्रण का उपयोग किया गया है, जो अग्निरोधी हैं और वातावरण के अनुकूल हैं। यही कारण है कि एकल के दीपकों की बहुत अधिक मांग रही। एकल के दीपों की ये विशेषता है कि इनमें घी और तेल पूरी तरह, और देर तक जलता है तथा दीपक पूरी तरह से सुरक्षित रहता है। इससे निकलने वाला धुंआ दूषित नहीं होता, इसलिए कोई हानि नहीं पहुंचाता। ये देखने में भी बहुत सुंदर हैं।
ग्रामीण महिलाओं ने दीपावली को शुभ बनाने के लिए गाय के गोबर से अनेक प्रकार के मांगलिक चिन्ह भी बनाये। जैसे – ॐ, श्रीं, स्वास्तिक, शुभ – लाभ। इसके अतिरिक्त पूजा – अनुष्ठान के लिए पंचगव्य मिश्रित धूपबत्ती और हवन कुंड के आकार का धूपबत्ती स्टैंड भी बनाया। दीपक, मांगलिक चिन्ह, धूपबत्ती और धूपबत्ती स्टैंड को “शुभ दीपावली गिफ्ट हैंपर” के रूप में वितरित किया गया, जिसकी अत्यधिक सराहना हुई।
‘गौ रक्षा – धर्म रक्षा – राष्ट्र रक्षा’ के उद्देश्य को लेकर एकल श्रीहरि ने ‘गौ ग्राम योजना’ के नाम से देश व्यापी अभियान प्रारंभ किया है। ‘गौ ग्राम योजना’ का मूलमंत्र है – ‘गाय – कृषि और किसान’। इसके अंतर्गत किसानों को बिनदुधारू देशी गाय पालने के लिए दी जा रही है। किसान के घर में गाय सुख से रहे, इसके लिए किसान परिवार को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। उन्हें गाय के गोबर और गोमूत्र का उपयोग करना सिखाया जा रहा है, जिससे उनकी कृषि उन्नत हो और उन्हें रोज़गार मिले।