Homeसंस्थाएंपशु चिकित्सालयविश्व स्तरीय गो चिकित्सालय

विश्व स्तरीय गो चिकित्सालय

नागौर जिले में ‘विश्व स्तरीय गो चिकित्सालय’ के नाम से विख्यात ‘गोलोक महातीर्थ’ है, यहाँ दुर्घटनाग्रस्त, पीड़ाग्रस्त गौमाता की बडे़ स्तर पर सेवा एवं चिकित्सा की जाती है. ‘विश्व स्तरीय गो चिकित्सालय’ की स्थापना 23 फरवरी 2008 को की गई थी.

‘विश्व स्तरीय गो चिकित्सालय’ में स्वस्थ, दुधारू तथा घरेलु गोवंश नहीं रखा जाता हैं. केवल दुर्घटनाग्रस्त एवं पीड़ाग्रस्त गोवंश को ही रखा जाता हैं. 

यहाँ उठने में असमर्थ गोवंश एवं अनाथ बछड़ों को प्रतिदिन  आसपास के गाँवों से लाकर दूध पिलाया जाता है. वर्तमान में तीन केन्द्रों में विश्व स्तरीय गो चिकित्सालय की सेवाएं प्रदान की जा रही हैं. ये केंद्र हैं नागौर, जोधपुर (शाखा) ग्राम-रलावास और काँजी हाऊस ‘नगर परिषद् की गौशाला. 

 ‘विश्व स्तरीय गो चिकित्सालय’ का सबसे महत्वपूर्ण विभाग है ‘मेडिकल कक्ष’. यहाँ लाये गए पीड़ित, बीमार व दुर्घटनाग्रस्त गोवंशों को प्राथमिक उपचार हेतु सर्वप्रथम मेडिकल विभाग को सुर्पुद किया जाता है। मेडिकल विभाग में प्राथमिक जांच और  ईलाज के पश्चात गोवंश को उनकी शारीरिक स्थिति एवं सेवा सुरक्षा की आवश्यकता के अनुसार बनायी गयी श्रेणियों में भेज दिया जाता है. गंभीर रूप से लाचार, दुर्घटनाग्रस्त व वृद्ध गोवंश को ‘‘अत्यधिक घायल वार्ड (आई.सी.यू)’’ में पूर्ण स्वास्थ्य लाभ मिलने तक रखा जाता है। गोलोक महातीर्थ में गोमाता की पीड़ा शीघ्रतिशीघ्र दूर कैसे हो इस हेतु अनुभवी चिकित्सक, डिग्रीधारी कम्पाउडर, सेवाभावी गोसेवक हर समय हाजिर रहते हैं.

गोवंश के उपचार हेतु अलग अलग बीमारी के अनुसार वार्डो की व्यवस्था की गई है जैसे घायल वार्ड, अत्यधिक घायल वार्ड, कैंसर पीड़ित वार्ड, तीन पैर वार्ड, घायल साण्ड वार्ड, सिजेरियन वार्ड, शरीर पीड़ित वार्ड इत्यादि. 

अलग-अलग बीमारियों में दिऐ जाने वाले भोजन निश्चित माप के अनुसार गोमाता को निश्चित समय पर बदल-बदल कर दिया जाता है। सर्दियों में वृद्ध गोवंश को लापसी, मक्की, मैथी, अजवायन, बाजरी, खोपरा, गुड़, तेल आदि को पकाकर खिलाया जाता है, वही गर्मियों में ठण्डा रहने वाले जौ, खल व चापड़ खिलाये जाते है. वृद्ध व बीमार गायों को दिन में कई बार स्थान बदलवाना (पलटना), उनके सहारे के लिए छलनी से छानी हुई मखमली रेत के तकिये बाजू में लगाकर रखना आदि बैटन का भी ध्यान रखा जाता है। यहां पर गोमाताओं की सेवा जन्म देने वाली ‘‘माँ’’ की तरह आत्मीयता, प्रेम और सर्मपण भाव से होती है। 

विश्व स्तरीय गौ चिकित्सालय की विशेषता :-

  1. विश्व स्तरीय गो चिकित्सालय के लावारिस पीड़ाग्रस्त गोवंश को लाने हेतु 18 पशु एम्बुलेन्स की व्यवस्था की गई है.
  2. जिस स्थान से दुर्घटनाग्रस्त गोवंश लाये जाते हैं स्वस्थ होने के पश्चात् गोवंश को पुनः उसी स्थान पर छोड़ दिया जाता है.
  3. गोपालक अपने घरेलु बीमार गोवंश लेकर आता है तो उनको एक बीमार गोवंश के बदले में एक स्वस्थ गोवंश दिया जाता है. गौशालाओं को भी बीमार गोवंश के बदले में स्वस्थ गोवंश दिया जाता है.
  4. निजी वाहन, वन विभाग एवं पुलिस प्रशासन के वाहन से लाये गए वन्य जीवों का भी यहाँ उपचार किया जाता है.
  5. स्वस्थ होने पर वन्य जीवों को वन विभाग को सुपुर्द कर दिया जाता है.
  6. गो चिकित्सालय में स्वस्थ गोवंश एवं दूध देने वाली गायों को नहीं रखा जाता और न ही लिया जाता है.

Website : http://gaulokmahatirth.com

विशेष

लोकप्रिय