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राजस्थान पशु चिकित्सा शिक्षा प्रबंधन एवं शोध संस्थान

राजस्थान पशु चिकित्सा शिक्षा प्रबन्धन एवं शोध संस्थान वर्षों से पशुपालकों व पशुओं के हित में कार्य कर रहा है.  29 मई 2003 को राजस्थान सरकार ने नियमावली संख्या 28/1958 के तहत पंजीकरण संख्या 29 अंतर्गत अन्य उद्देश्यों के साथ कृत्रिम गर्भाधान एवं प्राथमिक उपचार के साथ पशु सेवा हेतु निबंधित किया है. संस्था राजस्थान सरकार अधिनियम 1958 के अंतर्गत पशु सेवा के क्षेत्र में पंजीकृत एक NGO है, जिसे भारतीय संविधान के अंतर्गत पशुओं की देख-भाल, चिकित्सा एवं प्राथमिक पशु चिकित्सा एवं उसके प्रशिक्षण का कार्य करने तथा उसके प्रबंधन का पूर्ण अधिकार है.  संस्थान का कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण राजस्थान है. प्रदेश के विभिन्न भागों में संस्थान अपना कार्य-कलाप करने को पूर्णतया स्वतंत्र है. संस्थान अव्यवसायिक स्वैछिक स्वायतशासी गैर सरकारी संस्थान है.

यहाँ पशु स्वास्थ्य कार्यकर्ता (AHW) के पाठ्यक्रम का प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है.  इस के अंतर्गत कोई भी 10वीं पास योग्यताधारी व्यक्ति प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद भारतीय पशुपालन निगम लिमिटेड में नियमानुसार रोजगार प्राप्त कर सकता है तथा स्वयं के स्तर पर पशुओं की चिकित्सा करके स्वरोजगार भी कर सकता है.  यह प्रशिक्षण कौशल विकास हेतु है. इस के जरिये सरकारी नौकरी मिलने का कोई भी दावा संस्थान नहीं करता है. संस्थान निगम की ओर से केवल प्रशिक्षण में प्रवेश करने को अधिकृत है.

संस्थान के उद्देश्य हैं – लाचार, बेबस, बेसहारा पशुओं की देखभाल करना, नि:शुल्क पशुचिकित्सा एवं प्राथमिक उपचार की व्यवस्था करना, संस्थान के सदस्यों को पशुपालन एवं पशु प्रबंधन में प्रशिक्षित करना, पशु चिकित्सा के क्षेत्र में उच्च शिक्षा हेतु शिक्षण व्यवस्था करना, प्रदेश के प्रचुर अकुशल मानवीय संसाधनों के लिए पशु सम्पदा के क्षेत्र में सेवा व रोजगार के अवसरों की तलाश करना, पशु चिकित्सा के क्षेत्र को सामाजिक जाग्रति व जन चेतना के माध्यम से गति करना, कृत्रिम गर्भाधान व उन्नत नस्ल कार्यक्रम का ग्रामीण अंचल में प्रचार प्रसार करना, ग्रामीण अंचल में गंभीर व असाध्य रोगों का शोध व निराकरण करना, राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम में सक्रिय योगदान करना, बेबस एवं आवारा पशुओं तथा गरीब पशुपालकों को नि:शुल्क चिकित्सा सेवा प्रदान करना, पशुओं में टीकाकरण कार्यक्रम को बढ़ावा देना और पशुओं के प्रति क्रूरता व अत्याचारों के प्रति समाज में जागरूकता लाना.

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