Homeगौवंशपर्यावरण संरक्षण में गौवंश का योगदान

पर्यावरण संरक्षण में गौवंश का योगदान

सच्चा सुख-शांति और आरोग्य प्रदान करने वाली गौमाता का पर्यावरण संरक्षण में विशेष महत्व है.   

पर्यावरण संरक्षण का अर्थ है भूमि, जल, वन्य जीवन, जंगलों और हर जीव की सुरक्षा. इस संदर्भ में, भूमि, जल, वन्यजीवों, वनों और प्रत्येक जीवित प्राणी की रक्षा में महत्वपूर्ण योगदान गौमाता का है. इसीलिए गाय को “मातर :सर्वभूतानां गावः सर्व सुखप्रदाः” कहा जाता है.

जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण की चुनौतियों निरंतर बढ़ती जा रही हैं. आज पर्यावरणीय उपेक्षा के कारण ही पूरी दुनिया प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर रही है. भूकंप, सुनामी, तूफान, सूखा, मौसम-चक्र, हिमखंडों का पिघलना, ओजोन परत में अंतराल, जंगलो में आग जैसी प्राकृतिक आपदाएं आम हो गई हैं. 

गो उत्पाद मधुमेह, हृदय रोग, लकवा, कैंसर, मानसिक स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न समस्याओं आदि को कम करने में मददगार है. इससे उत्तम आहार और स्वास्थ्य के लिए दवाओं पर ख़र्च हो रहे लाखों रुपये भी बचेंगे. परिणामस्वरूप रासायनिक दुष्प्रभाव बहुत कम हो जाएंगे, जो पर्यावरण की रक्षा में सहायक सिद्ध होगा.  

गोमाता के स्पर्श मात्र से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है. इसके उत्पाद सर्वश्रेष्ठ और अत्यंत लाभप्रद हैं. गाय के घी से जलाये गए दिए और हवन से एसीटिलिक एसिड, फॉर्मलाडिहाइड और कई ऐसी गैसों का उत्पादन होता हैं जो पर्यावरण को शुद्ध रखने में उपयोगी हैं, ओजोन परत की रक्षा होती हैं और कार्बन डाइऑक्साइड को कम करते हैं।

गोमूत्र में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल, एंटीकैंसर गुण हैं. गोमूत्र का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है. यह अन्य रसायनों के हानिकारक और खतरनाक प्रभावों को कम करने के साथ-साथ दवाओं के उपयोग को कम करने में मदद करता है. गोमूत्र के छिड़काव से घर के आसपास का वातावरण स्वच्छ रहता है. गोमूत्र जैविक खाद्य पदार्थ के लिए कीटनाशक के रूप में उपयोगी है. इसके अलावा रासायनिक दवाओं के जहरीले प्रभाव से और मिट्टी की ताकत बढ़ाकर लाखों जीवों की जान बचाता है.

गाय के गोबर को जैव-उर्वरक के रूप में उपयोग करने से रासायनिक उर्वरक के घातक प्रभावों से बचा जा सकता है. कारखानों से प्रदूषण कम होगा, करोड़ों जीवन स्वस्थ रह सकेंगे और मिट्टी की नमी पर कोई हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ेगा.

विशेष

लोकप्रिय