Homeगौवंशगाय के बारे में कथन

गाय के बारे में कथन

  • वेदों में कहा गया है-‘माता रूद्राणां दुहिता वसूनां स्वसादित्यनाममृत्स्य नाभि:, प्रश्नु वोचं चिकितुषे जनायमा गामनागादितिं वधिष्ट।‘ अर्थात् गाय रुद्रों की माता, वसुओं की पुत्री, आदित्यों की बहन और धृतरुप अमृत का खजाना है. गाय परोपकारी एवं वध न करने योग्य है.
  • कुरान शरीफ के अनुसार – ‘अकर्मुल बकर फाइनाहा सैयदूल बहाइसाँ’ अर्थात- गाय की इज्जत करो क्योंकि वह चौपायों का सरदार है. गाय का दूध, घी और मक्खन (शिफा) अमृत है. गोस्त बीमारियों का कारण ह.| (कुरान शरीफ़ पारा 14 रुकवा 7-15)
  • ईसाई धर्म के अनुसार – ईसा मसीह ने कहा है – ‘तू किसी को मत मार. तू मेरे समीप पवित्र मनुष्य बनकर रह. एक बैल या गाय को मारना एक मनुष्य के क़त्ल के समान है.’ (ईसाई हयाद 66-3)
  • सिक्ख धर्म के अनुसार – ‘यही देव आज्ञा तुर्क, गाहे खपाऊँ| गउ घात का दोष जग सिउ मिटाऊँ||’ यही गुरु आज्ञा है कि गाय की सेवा में जीवन बिताऊँ और गोवध के दोष को जग से मिटाऊँ. 
  • आर्य समाज के अनुसार – महर्षि दयानद सरस्वती ने कहा है ‘गाय अपने पूरे जीवन काल में 20 हज़ार लोगों को अमृत तुल्य दूध से तृप्ति प्रदान कर सकती है.’
  • बौद्ध धर्म के अनुसार – जैसे माता-पिता, भाई कुटुंब के परिवार के लोग हैं, वैसे ही गायें भी हमारी परम मित्र हैं, परम हितकारिणी हैं, जिसके गव्य से दवा बनती है.
  • जैन आगमों में कामधेनु को स्वर्ग की गाय कहा गया है और प्राणिमात्र को अवध्या माना है. भगवान महावीर के अनुसार गौ रक्षा बिना मानव रक्षा संभव नहीं. 
  • गोस्वामी तुलसीदासजी रामचरितमानस में लिखते हैं- ‘विप्र धेनु सुर संत हित लीन्ह मनुज अवतार, निज इच्छा निर्मित तनु माया गुन गोपार।’
  • महात्मा गाँधी ने भी कहा है – ‘गोवंश की रक्षा ईश्वर की सारी मूक सृष्टि की रक्षा करना है. भारत की सुख- समृद्धि गाय के साथ जुड़ी हुई है. गाय प्रसन्नता और उन्नति की जननी है, 
  • पं. मदनमोहन मालवीय के मतानुसार- ‘गौ वंश की रक्षा में देश की रक्षा समायी हुई है. यदि हम गायों की रक्षा करेंगे तो गाएं हमारी रक्षा करेंगी। उनकी अंतिम इच्छा थी कि भारतीय संविधान में सबसे पहली धारा सम्पूर्ण गौवंश हत्या निषेध की बने।
  • बाल गंगाधर तिलक ने कहा है. ‘चाहे मुझे मार डालो, पर गाय पर हाथ न उठाओ’. 
  • प्रसिद्ध मुस्लिम संतकवि रसखान कहते हैं – ‘जो पसु हौं तो कहा बस मेरो, चरौं नित नंद की धेनु मँझारन॥‘
  • महर्षि अरविंद ने कहा ‘गौ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की धात्री होने के कारण कामधेनु है. इसका अनिष्ट चिंतन ही पराभव का कारण है.
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