Homeब्लॉगघर पर ही करें गाय का इलाज़ – गौ सेवक शंकर लाल

घर पर ही करें गाय का इलाज़ – गौ सेवक शंकर लाल

देसी गाय का इलाज़ अपने घर में ही सस्ते में कैसे कर सकते हैं यह मैं आपको बताने जा रहा हूं।

गाय जब सींग से मारती हो

जो गाय सींग से मारती है, उसका एलोपैथी में कोई इलाज़ नहीं है, लेकिन होम्योपैथी में उसके लिए एक दवा है ‘नक्स वोमिका’। इसकी दौ सौ पोटेंसियल की दवा लेकर उसकी दस बूंद रोज़ सुबह-शाम गाय को देंगे तो उसकी मारने की आदत छूट जाएगी और उसका स्वभाव बदल जाएगा। 

गाय जब लात से मारती हो

जो गाय दूध निकालते समय लात से मारती है, उसके लिये होम्योपैथी की दवाई है ‘लेकेसिस’। इसकी 1000 पावर  की 10 बूंद 15 दिन में एक बार देंगे, तो दो महीने में वह लात मारने की आदत भूल जायेगी।

गाय का बछड़ा -बछड़ी मर गया हो

जिस गाय का बछड़ा-बछड़ी मर गया हो, वो मां है उसको पीड़ा होती है, तो वह दूध देना बंद कर देती है। उसके लिए होम्योपैथी में दवाई है  इगनेसिया 200 पावर। इसकी 10-10 बूंद 10 दिन तक देंगे तो वह गाय वापस अपने दूध पर आ जाएगी, दुःख भूल जाएगी । अगर किसी व्यक्ति के साथ ऐसी घटना हुई है, किसी प्रिय व्यक्ति की मृत्‍यु हो गई या व्यापार में बड़ा घाटा हो गया, आदमी एकदम डिप्रेशन में चला गया, उसको भी अगर इगनेसिया 200 की  2-2 बूंद देंगे तो वह 10 दिन में सामान्य हो जाएगा।

कील या कांटा गड़ गया हो

जिस गाय को कोई कील गड़ गई, कोई कांच गड़ गया, कोई कांटा चुभ गया हो अथवा किसी मधुमक्खी, ततैया या किसी जीव ने डंक मार दिया हो, उसके लिए दवाई है ‘लेडम पाल 30 पावर’। उसकी 10-10 बूंद आधे-आधे घंटे से 4 बार देनी है। तीन घंटे में गाय एकदम नार्मल हो जाएगी। सारी सूजन उतर जाएगी। बाद में वो कील-कांटा अपने आप निकल जाएगा और वह ठीक हो जाएगा। टिटनेस का इंजेक्शन भी नहीं लगाना पड़ेगा।

थन से खून आना 

जिस गाय के थन से खून आ रहा है, ब्लाडिंग हो रही है तो वह दूध बिल्कुल काम नहीं आता। उसके लिए दवाई है ‘इप्पीकाक 200’ पावर। इसकी10-10 बूंद पांच-सात दिन देंगे तो उसका खून आना बंद हो जायेगा और शुद्ध दूध आना शुरू हो जायेगा।

थन सूज जाना

जिस गाय का थन सूज गया है दूध नहीं निकालने देती, हाथ नहीं लगाने देती, उसके लिए दवाई है ‘बेलाडोना’ 200 पावर। ये दवा लगातार 8-10 दिन देने से उसके थन की सूजन उतर जाएगी।

बच्चादानी बाहर आने पर

जिस गाय की बच्चादानी बाहर आती है। उसके लिए दवाई है ‘सीपिया 200’। इसकी 10-15 दिन 10-10 बूंद रोज़ देंने से वह ठीक हो जाएगी। जब बच्चादानी बाहर है, उस समय नीम के पत्‍ते उबालकर ठंडा करके उससे उसे धो दीजिए ताकि इंफ्क्शन समाप्त हो जाए। इसके बाद  फिटकरी पीसकर उसमें पानी मिला लें और फिर कपड़ा भिगोकर पानी उस पर चिपोड़ दीजिए, तो उससे वह अंदर चला जाएगा, फिटकरी का काम है सिकोड़ना और ‘सीपिया’ उसको स्थायी रूप से ठीक कर देगा।

आफ़रा होने पर

जिस गाय का पेट फूल गया, फूड्स प्वायजनिंग हो गया हो, उसके लिए तीन चार दवा हैं। एक है अमृतधारा। अमृतधारा की 10-10 बूंदे हर आधा घंटे में  दिन में 2-3 बार देंगे तो उसका आफ़रा ठीक हो जायेगा। दूसरा, 10-15 ग्राम हींग घोलकर आधा लीटर पानी में मिलकर पीला दीजिये उससे भी उसका आफ़रा ठीक हो जाएगा। इसके अलावा तीसरा इलाज़ है ईनो। ईनो पिला दीजिए उससे भी उसका आफरा ठीक हो जाएगा। इसके लिए होम्योपैथी में दवाई है ‘कार्बो वेज’ 30 पावर। इसे आधा-आधा घंटे से 2-3 बार देने से ठीक हो जाता है। अगर इन सब में से कुछ भी नहीं है तो गाय के बायें ओर का जो पेट है उसका नर्म स्थान देखकर मोटी सुई उसके पेट में खोप दीजिए और बाद में ऊपर से खोल दीजिये तो गैस निकल जाएगी, गाय बच जाएगी, नहीं तो दम घुटने से वह मर भी सकती है।

थनेला होने पर

ऐसे ही जिस गाय को ‘थनेला’ हो गया, थनेला मतलब जिसका थन खराब हो जाता है ऊपर दूध जम जाता है दूध आना बंद हो जाता है कभी एक थन, कभी दो, कभी तीन तो कभी चारो थन। उसके लिए इलाज है देसी चने। 200 ग्राम चने सुबह भिगो दें। शाम को उसे कपड़े में बांध दें। वह चना अंकुरित हो जायेगे। उस चने को 15 से 20 दिन खिलाने से वह थन वापस चालू हो जायेगा। दूसरा इलाज है शीशम के पत्ते। शीशम के पत्ते की चटनी बनाकर जहां दूध जम गया है  वहां दिन में दो बार लेप करें। अगर दूध के जमने के कारण गादी पत्‍थर हो गई है, तो भी 6-7 दिन में वह गादी बिल्कुल नरम हो जाएगी। इसके बाद  नीम के पत्ते उबालना या लाल दवा को मोटी सुई से 100 ग्राम पानी चढ़ाना, बाद में उसमें उसको निचोड़ देना। इससे दूध निकल जाएगा। दो – तीन बार ऐसा करने से उसका थन चालू हो जाएगा।

अब थन खराब क्यों होता है। दूध निकालने के बाद या बछड़े को पिलाने के बाद अगर हमने थन नहीं धोया या गाय बैठ गई और थन खुला है तो जीव घुस जाते हैं, उससे वह थन खराब हो जाता है। इसलिये सावधानी रखनी होती है कि थन खराब न हो।  

गाय गर्भवती है कैसे जानें

गाय गर्भवती है कि नहीं इसकी पहचान करनी है तो उसी गाय के गौमूत्र में 100 ग्राम मूंग के दाने ग्लास में भिगो दें। शाम को कपड़े में बांध दें। दूसरे दिन खोलकर देखेंगे तो गौमूत्र में भीगे मूंग अगर 10-12 से ज्यादा अंकुरित हैं तो गाय गर्भवती नहीं है। अगर 10-12 से कम अंकुरित है तो गाय गर्भवती है। दूसरा उपाय है कि गाय के गोमूत्र में 4-5 बूंद नीबू डालकर देखें। अगर उसका रंग बदलता है तो गाय गर्भ से है। नहीं तो गाय गर्भवती नहीं है।

‘हीट’ में न आने पर

कई बार दो-दो, चार-चार साल हो जाते हैं गाय हीट में नहीं आती तो वह गर्भधारण नही कर पाती। उसके लिए एक छोटा सा इलाज़ है जायफल। उसका ऊपर का छिलका उतारकर, उसको फोड़कर, गुड़ में लपेटकर एक जायफल गाय को खिला देना। वह इतना गरम होता है कि उससे अपनी गाय हीट में आ जायेगी। अगर जायफल किसी कारण से नहीं मिले तो चार छोआरे लेकर उसकी गुठली निकालकर उसके टुकड़े करके गुड़ में लपेटकर उसको आठ दिन गाय को खिलायें, उससे भी गाय हीट में आ जाती है। अब अगर गाय हीट में आती है पर ठहरती नहीं है बार-बार रिपीट होती है तो उसके लिये हीट में आने के बाद गाय को एलोविरा का एक कप रस सोमवार, बुधवार, शुक्रवार, रविवार, मंगलवार एक दिन छोड़कर एक दिन ऐसे पांच बार उसको पिला दीजिये। जब हीट में आये क्रास करवाइये,  गर्भ ठहर जाएगा।

जेर न डालने पर

गाय बच्चे को जन्म देने के बाद कभी-कभी जेर नही डालती। उसका कारण है कि गाय को भय लगता है कि कुत्ता या कोई जानवर आकर उनके बछड़े-बछड़ी को नुकसान न पहुंचाए, इसलिए वो जेर नहीं डालती। क्योंकि जेर की गंध से कुत्ता आता है। इसलिए गोपालक को जब तक जेर नहीं पड़ जाये वहां रहना चाहिये। उसके बाद भी अगर देर हो रही हो तो उसके लिये छोआरे की आधी गुठली को फोड़कर गुड़ में लपेटकर खिला दें, थोड़ी में वह बाहर आ जायेगी।

सहज प्रसव के लिए

गाय का सहज प्रसव हो, कष्ट न हो उसके लिए आधा किलो गोबर, एक लीटर पानी में घोलकर छानकर गाय को पिला दीजिये, घंटे भर में आराम से प्रसव हो जाएगा। यह बच्चा दानी का मुंह खोल देता है। इसके लिए होम्योपैथी में दवाई है ‘कोलोफाइलम’ 200 पावर। उसकी 10 बूंदे आधे-आधे घंटे से दो बार देने से आराम से प्रसव हो जाएगा।

जिस गाय की कुली उतर गयी हो, तो उसके लिये छहः चीजे रखनी है। पान का गीला चूना, दूसरा हल्दी, तीसरा शहद, चौथा गुड़, पांचवा बैंड्रज पट्‌टी, छठा रुई।  इसके बाद थोड़ा गीला चूना, उतनी ही हल्दी और शहद मिलकर किसी कटोरी में पेस्ट बना लें । बाद में थोड़ा गुड़ लेकर थोड़ा पानी मिलाकर उसका लेप लगा देना। देरी करेंगे तो वह जम जाएगा। बाद में बैंड्रेज के चार फोल्ड करके पहले पट्‌टी चिपकाना, बाद में रुई चिपकाना नहीं तो बाल उखाड़ेगी। उसे छह-सात दिन चिपका रहने दें। वह ठीक हो जाएगी।

तो ऐसे छोटे-छोटे उपाय से हम अपने गाय को अपने घर में ठीक कर सकते हैं।

दवा कैसे दें

गाय को दवा देने के लिए रोटी की पपड़ी उतारकर कर उसमें दवा की दस बूंदे डालें और वह रोटी गाय को खिला देनी है। या फिर आधा लीटर पानी में 10 बूंद डालकर नाल के द्वारा या बॉटल में भरकर उसको पिला देना तो उससे वह दवा उसके अंदर चली जाएगी।

तो ऐसे बहुत छोटी-छोटी चीजों के द्वारा हम अपनी गायों को घर में ही ठीक कर सकते हैं।

(श्री शंकर लाल वर्ष 1960 से अखिल भारतीय गौ सेवा गतिविधि के पालक और संघ के प्रचारक हैं।)

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