Homeगौ ग्राम योजनागाय बिकेगी नहीं तो कटेगी नहीं

गाय बिकेगी नहीं तो कटेगी नहीं

गाय बिकेगी नहीं तो कटेगी नहीं

गाय का घर किसान का घर है। गौशाला उसका पर्याय अर्थात विकल्प नहीं है। किसान के घर में गौमाता रहती हैं तो उसके घर में सकारात्मक ऊर्जा भी रहती है और घर का वास्तु भी ठीक रहता है। गौमाता के रहने से किसान के घर में आनंद और ख़ुशी का वातावरण रहता है। तभी तो कहते हैं ‘गाय जहाँ सुख से रहती है, सुख-संपदा वहां फलती है’।

एकल गौ ग्राम योजना के अंतर्गत किसान को बिनदुधारू गाय पालने के लिए दी गईं। उनमें से अधिकतर मां बनीं और दूध देने लगीं। ये चमत्कार इसलिए संभव हुआ, क्योंकि किसान परिवार उस गाय को अपने परिवार के सदस्य की तरह रखता है। आत्म भाव से सेवा करता है, अच्छी तरह से देख – रेख और पालन पोषण करता है।

एकल गौ ग्राम योजना के लिए किसान परिवार की महिलाएं देशी गाय के गोबर से दीपक, धूपबत्ती, उपले आदि उत्पाद बनती हैं। जिसके लिए उन्हें उचित पारिश्रमिक दिया जाता है। गौ उत्पाद बनाकर उन्हें प्रतिदिन 150 रुपए तक मिल जाते हैं। इस प्रकार गाय के रहते उन्हें हर महीने चार, साढ़े चार हज़ार रुपये तक की आमदनी हो जाती है, जिससे

वो गाय की अच्छे से देखभाल करती हैं। साथ ही अपने घर – परिवार और बच्चों की ज़रुरत के लिए अपने बड़ों के सामने उन्हें हाथ भी नहीं फैलाना पड़ता है

गौ ग्राम योजना का उद्देश्य यही है कि किसान गाय को न छोड़े और न ही कुछ पैसों के लालच में कसाई को बेचे। इस प्रकार ‘गाय बिकेगी नहीं तो कटेगी नहीं’

WhatsApp Image 2022 08 05 at 4.11.47 PM

श्रीमती मीना अग्रवाल

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, एकल श्रीहरि

विशेष

लोकप्रिय