गोबर से होंगे मालामाल
दूध न देने वाली गाय से भी अब हर महीने लाखों की कमाई की जा सकती है। सेन्ट्रल इन्स्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग की एक रिपोर्ट के अनुसार देश भर में हर साल लगभग 100 मिलियन टन गोबर मिलता है जिसकी कीमत 5,000 करोड़ रुपए है। इस गोबर से जैविक खाद, कागज़, बायो सीएनजी, वैदिक प्लास्टर, गौकाष्ठ और अन्य उत्पाद बनाकर गौपालक मालामाल हो सकते हैं।
पेपर प्लांट
कुमारप्पा नेशनल हैंडमेड पेपर इंस्टीट्यूट में गाय के गोबर से पेपर बनाने की विधि इजाद की गई है। इस विधि को अब ‘प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम’ के तहत आम लोगों तक पहुंचाने की तैयारी की जा रही है। यानि अब आप भी इस प्लांट को लगाकर गोबर से पैसे बना सकते हैं।
गाय के गोबर से बने हैंडमेड पेपर की क्वालिटी बहुत अच्छी है। इससे कैरी बैग भी तैयार किया जा रहा है। जैसा कि प्लास्टिक बैग बैन हो रहे हैं, ऐसे में पेपर के कैरी बैग अच्छा विकल्प हैं। इस प्लांट से किसानों की आय भी बेहतर हो सकती है। साथ ही युवाओं को रोजगार भी मिलेगा।
5 से 25 लाख तक में लगेगा प्लांट
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) से जुड़ने के बाद लोग गोबर से पेपर बनाने के प्लांट के लिए लोन और सब्सिडी पा सकेंगे। मात्रा के आधार पर ये प्लांट 5 लाख से लेकर 25 लाख तक में लगाए जा सकते हैं। चूंकि ये हैंडमेड पेपर हैं, इसलिए इससे हर प्लांट में इसमें 10 से 12 लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्री गिरिराज सिंह ने गत 12 सितंबर को कुमारप्पा नेशनल हेंडमेड पेपर इंस्टीट्यूट में गोबर से बने पेपर कैरी बैग को लॉन्च किया था। इस दौरान उन्होंने कहा कि गाय के गोबर से बने उत्पाद गुणवत्ता में बेहतर हैं और किफायती भी हैं. देश भर में इन्हें पसंद किया जा रहा हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच का ही परिणाम हैं कि किसान गाय के गोबर से भी पैसा कमा सकेगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी गोबर-गोमूत्र से कमाई की बात करते रहे हैं। पीएम मोदी ने मन की बात में कहा था, ”गोबर भी किसानों की कमाई का जरिया हो सकता है। किसान गोबर की खाद अपने खेतों के लिए ही नहीं बल्कि उसे ज्यादा मात्रा में उत्पादन कर कारोबार भी कर सकते हैं। सरकार की ‘गोबरधन स्कीम’ के जरिए ‘वेस्ट’ को ‘एनर्जी’ में बदलकर इसे आय का जरिया बनाया जा सकता है।”
गोबर से बायो सीएनजी बनाने का प्लांट
गोबर से बायो सीएनजी भी बनाई जाने लगी है। ये वैसे ही काम करती है, जैसे हमारे घरों में काम आने वाली एलपीजी। ये उससे काफी सस्ती पड़ती है और पर्यावरण की भी बचत होती है। बॉयो सीएनजी को गोबर के अलावा सड़ी-गली सब्जियों और फलों से भी बना सकते हैं। ये प्लांट गोबर गैस की तर्ज पर ही काम करता है, लेकिन प्लांट से निकली गैस को बॉयो सीएनजी बनाने के लिए अलग से मशीनें लगाई जाती हैं, जिसमें थोड़ी लागत भी लगती है लेकिन ये आज के समय को देखते हुए बड़ा और कमाई देने वाला कारोबार है। बॉयो सीएनजी तो हाथो हाथ बिक ही जाती है. साथ ही अपशिष्ट के तौर पर निकलने वाली स्लरी यानी बचा गोबर खाद का काम करता है।
गोबर से बना ‘वैदिक प्लास्टर‘
देसी गाय के गोबर से बनाये जा रहे ‘वैदिक प्लास्टर’ के प्रयोग से गांव के कच्चे घरों जैसा सुकून मिलता है। जबसे हमारे घरों से गोबर की लिपाई का काम खत्म हुआ तबसे बीमारियां बढ़नी शुरु हुईं। देसी गाय के गोबर में सबसे ज्यादा प्रोटीन होती है। जो घर की हवा को शुद्ध रखने का काम करता है, इसलिए वैदिक प्लास्टर में देसी गाय का गोबर लिया गया है। देसी गाय के गोबर में जिप्सम, ग्वारगम, चिकनी मिट्टी, नीबूं पाउडर आदि मिलाकर इसका वैदिक प्लास्टर बनाते हैं जो अग्निरोधक और उष्मा रोधी होता है। इससे सस्ते और इको फ्रेंडली मकान बनते हैं।
गोबर की चप्पल
गोबर से चप्पल बनाने का काम भी हो रहा है। यह चप्पल मजबूत और टिकाऊ तो है ही सेहत के लिहाज से भी लाभदायक है। इसका सीधा असर स्वास्थ्य पर होता है। अब घर गोबर से नहीं लीपे जाते, लेकिन गोबर की चप्पल का इस्तेमाल तो घर में किया जा सकता है। यह चप्पल आधे घंटे पानी में रख देने से भी न टूटता है और न ही खराब होता है।
धूपबत्ती
एक गाय के दिनभर में जमा होने वाले आठ से दस किलो गोबर में पांच किलोग्राम लकड़ी का बुरादा, आधा किलोग्राम बाजार में मिलने वाला चंदन पाउडर, आधा लीटर नीम का रस, 10 टिकिया कर्पूर, 250 ग्राम सरसों, जौ का आटा और 250 ग्राम गौमूत्र (तीन बार उबाला हुआ) मिक्स कर लें। इंजेक्शन की सीरिंज को आगे से काटकर उसके जरिए गोबर एवं मिश्रण को इसके सांचे से निकालकर धूपबत्ती तैयार की जा सकती है। प्रतिदिन 500 पीस धूपबत्ती तैयार कर बाज़ार में बेची जा सकती है।
ईकोफ्रेंडली मूर्ति
धार्मिक मान्यता है कि गाय के गोबर में लक्ष्मीजी का निवास है। गाय के गोबर से ही निर्मित लक्ष्मी प्रतिमा का पूजन श्रेष्ठ होता है। गोबर को सुखाकर तैयार किया एक-डेढ़ किग्रा बुरादा, आधा किलो मैदा लकड़ी, सौ ग्राम फेवीकोल मिक्स करके बाजार में मिलने वाली मूर्तियों के सांचे में भरकर रख दें। चार-पांच दिन में मूर्ति बनकर तैयार हो जाएगी। ऐसी मूर्तियों की मार्केट में काफ़ी डिमांड हो रही है।