देशी गाय के गोबर के कई उपयोग बताए जाते हैं । प्राचीनकाल में घर की दीवारों और भूमि को गाय के गोबर से लीपा-पोता जाता था।
देशी गाय के गोबर में 86 प्रतिशत तक द्रव पाया जाता इसमें फास्फोरस, नाइट्रोजन, चूना, पोटाश, मैंगनीज़, लोहा, सिलिकन, ऐल्यूमिनियम, गंधक आदि खनिज कुछ अधिक मानी में विद्यमान रहते हैं तथा आयोडीन, कोबल्ट, मोलिबडिनम आदि भी थोड़ी थोड़ी मात्रा में रहते हैं ।
खेती के लिए अमृत
देशी गाय के गोबर से बनी खाद भूमि और फ़सल दोनों के लिए लाभप्रद है। खेती के लिए गाय का गोबर अमृत समान माना जाता है।
आज भी गांवों में गाय के गोबर का प्रयोग चूल्हे बनाने, आंगन लीपने एवं मांगलिक कार्यों में किया जाता है।
खुजली से राहत
त्वचा संबंधी रोगों में गुणकारी त्वचा से सम्बंधित किसी भी रोग में गोबर का लेप 8-10 मिनट तक हफ्ते में दो से तीन बार उपयोग करने पर कुछ दिनों में
ही त्वचा संबंधी समस्या से छुटकारा मिल जाता है।
एड़ी दर्द से निजात
जिन लोगों की एड़ियों में सूजन या फिर दर्द रहता है, वो लोग गाय के गोबर को अपनी एड़ियों पर लगाएं और इस लेप को 10-15 मिनट बाद धो लें। इसे हफ्ते में 2 से 3 बार करे। इससे जल्दी ही राहत मिल जाएगी।
पेट के कीड़ों से
अगर पेट में कीड़े हैं, तो गोबर के उपलों को जलाकर उसकी एक चम्मच राख को पानी में मिलाकर रोजाना शाम के समय सेवन करें। इससे पेट के कीड़ों से राहत मिल जाएगी और पाचन तंत्र भी स्वस्थ रहेगा। वैज्ञानिक कहते हैं कि गाय के गोबर में विटामिन बी-12 प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
गोबर के कंडे से धुआं करने पर कीटाणु, मच्छर आदि भाग जाते हैं तथा दुर्गंध का नाश हो जाता है।
कीटनाशक के रूप में गोबर और गोमूत्र के इस्तेमाल के लिए अनुसंधान केंद्र खोले जा सकते हैं, क्योंकि इनमें रासायनिक उर्वरकों के दुष्प्रभावों के बिना खेतिहर उत्पादन बढ़ाने की अपार क्षमता है। इसके बैक्टीरिया अन्य कई जटिल रोगों में भी फायदेमंद होते हैं। गोमूत्र अपने आस-पास के वातावरण को भी शुद्ध रखता है। कृषि में रासायनिक खाद्य और कीटनाशक पदार्थ की जगह गाय का गोबर इस्तेमाल करने से जहां भूमि की उर्वरता बनी रहती है, वहीं उत्पादन भी अधिक होता है। दूसरी ओर पैदा की जा रही सब्ज़ी, फल या अनाज की फसल की गुणवत्ता भी बनी रहती है। बैलों से जुताई करते समय गिरने वाले गोबर और मूत्र से भूमि में स्वतः खाद पड़ जाती है। प्रकृति के 99 प्रतिशत कीट प्रणाली के लिए लाभदायक हैं। गोमूत्र या खमीर हुए छाछ से बने कीटनाशक इन सहायक कीटों को प्रभावित नहीं करते।
एक गाय का गोबर 7 एकड़ भूमि को खाद और मूत्र 100 एकड़ भूमि की फसल को कीटों से बचा सकता है। केवल 40 करोड़ गोवंश के गोबर व मूत्र भारत में 84 लाख एकड़ भूमि को उपजाऊ बनाया जा सकता है।
साभार – गौ ग्राम संदेश