हमारे गुरु जी कहते हैं कि गौ माता और किसान अगर दुखी रहेंगे तो देश कभी खुश नहीं रहेगा। इसी बात का अनुसरण करते हुए लगभग 15 साल पहले हम मुंबई छोड़कर यहां अहमदाबाद आ गए। यहां आकर हमने ‘बंसी गीर गौशाला’ की स्थापना की। हमारे पूर्वज गीर गौ माता रखते थे, इसीलिए हम लोगों ने भी गीर गौमाता रखने का फैसला किया और गीर गोवंश की शुद्धता के लिए कुछ प्रयोग शुरु किये।
‘बंसी गीर गौशाला’ में अभी तकरीबन 600 गौवंश हैं. 150 दूध देने वाली गौ माता हैं और उतने ही बच्चे हैं। 100 के करीब बछड़े है, जिन्हें हम लोग उसको नंदी ग्राम के लिए तैयार कर रहे हैं। हम गोवंश की अच्छी नस्ल का ध्यान रखते हैं, इसीलिए हमारे नंदी की बुकिंग एडवांस में होती है। गौशाला में गीर गोवंश के 18 गोत्र की गाय है। उसके बछड़े तैयार करके हम लोग गांव वालों को देते हैं।
‘बंसी गीर गौशाला’ में हम लोग गौ आधारित कृषि को भी बढ़ावा दे रहे हैं. इसके लिए ज़रूरी है गाय को रखना।
शुरुआत में हमें अच्छी गाय कम मिली थीं। अधिकतर ऐसी गायें थीं, जिसका पांच या सात ब्यात हो चुका था अथवा एक या दो आंचल खराब हो चुका था, या फिर नॉन – फ़र्टाइल होती थीं। ज़्यादा पैसे चुकाकर हम वैसी गाय लेकर आये और उसकी अच्छी परवरिश की। उसको ऑर्गेनिक फूड दिया, आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट दिया, जिससे वो फिर से अच्छा परफॉम करने लगीं। और, जैसा हमने सोचा था हक़ीक़त में अपनी आँखों से देखा। आज हमें इसका परिणाम मिल रहा है। 15 ब्यात के बाद भी गौ माता परफॉम करती है। तो ऐसे ही गौमाताओं को और उनके वंश को कैसे बढ़ाया जाये, इसके लिए हम नए-नए प्रयोग करते हुए कार्य कर रहे हैं।