भारत में पहली बार 1000 र्इ. के आसपास जब विभिन्न इस्लामी आक्रमणकारियों तुर्की, र्इरान (फारस), अरब और अफगानिस्तान से आये तो वे अपनी इस्लामी परंपराओं के अनुसार विशेष अवसरों पर ऊंट और बकरी, भेड़ बलिदान करते थे। हालांकि, मध्य और पश्चिम एशिया के इस्लामी शासक, गोमांस खाने के आदी नहीं थे, उन्होंने भारत में आने के पश्चात् गाय के वध को और गायों की कुरबानी, विशेष रूप से बकरी – र्इद के अवसर पर शुरू कर दिया। उन्होंने भारत के मूल निवासियों को अपमानित करने और उनके भोजन प्रयोजनों में संप्रभुता और श्रेष्ठता साबित करने के लिए किया था। इनके इस कार्य अर्थात गौवध के कारण इस देश के मूल हिंदू आबादी में असंतोष पनपने लगा। कहा जाता है हिंदुओं के विरोध को संज्ञान लेते हुए अकबर और औरंगजेब जैसे मुगल शासकों ने मुस्लिम त्यौहारों के दौरान गायों की हत्या और गायों की कुरबानी को निषिद्ध घोषित किया था।