ध्यान फाउंडेशन देश भर में आवारा, परित्यक्त, बीमार, घायल, अनाथ और बचाई गई गायों और सांडों की देखभाल का काम कर रहा है. भारत के लगभग हर राज्य में 30 से अधिक आश्रय स्थल हैं, जहाँ दूध देने वाली कोई गाय नहीं है. सिर्फ़ बैल, बूढ़ी और कमज़ोर गायें हैं, जो मवेशी माफ़िया और कसाई से बचाई गई हैं.
गायों की चिकित्सीय सुविधा के लिए पशु आपातकालीन हेल्पलाइन और 10 एम्बुलेंस सेवाएं 24 घंटे कार्यरत हैं.
कूड़े के ढेर में प्लास्टिक खाने से बीमार गायों की प्लास्टिक हटाने की सर्जरी, कृत्रिम अंग प्रतिस्थापन की व्यवस्था भी है.
इसके अलावा समय-समय पर स्कूलों, कॉलेजों, संस्थानों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों में पशु जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है.
सड़कों पर आवारा दुर्घटनाओं को रोकने के लिए रिफ्लेक्टिव नेक बेल्ट्स और ‘नंदी उत्पाद’ के बैनर तले गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मवेशियों के कचरे से बने उत्पादों को बढ़ावा भी दिया जाता है.
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