गौमूत्र से बनी औषधियों से कैंसर, ब्लड प्रेशर, आर्थराइटिस, सवाईकल हड्डी संबंधित रोगों का उपचार संभव है।
गौमूत्र कैंसर जैसे असाध्य रोगों को भी जड़ से दूर कर सकता है. गौमूत्र चिकित्सा वैज्ञानिक कहते हैं कि गाय का लिवर 4 भागों में बंटा होता है. इसके अंतिम हिस्से में एक प्रकार का एसिड होता है, जो कैंसर जैसे रोग को जड़ से मिटाने की क्षमता रखता है. गौमूत्र का खाली पेट प्रतिदिन निश्चित मात्रा में सेवन करने से कैंसर जैसा रोग भी नष्ट हो जाता है.
गौमूत्र के सेवन से प्लीहा और यकृत रोग नष्ट हो जाते हैं. यकृत, प्लीहा बढ़ना पर 5 तोला गोमूत्र में एक चुटकी नमक मिलाकर पिएं या पुनर्नवा के क्वाथ को समान भाग गोमूत्र मिलाकर लें. प्रभावित स्थान पर गोमूत्र में कपडा भिगोकर हल्की-हल्की सिंकाई करने से भी आराम मिलता है.
दांत दर्द एवं पायरिया में गोमूत्र से कुल्ला करने से लाभ होता है.
गोमूत्र में एक चौथाई चम्मच फूली हुई फिटकरी मिलाकर सेवन पुराना जुकाम, नजला, श्वास सम्बन्धी रोग दूर हो जाते हैं.
सुबह-शाम 4 चम्मच गोमूत्र का सेवन करना हृदय और मधुमेह रोगियों के लिए लाभकारी होता है.
गौ-मूत्र से मोटापा कम किया जा सकता है. गौ-मूत्र में विटामिन्स पाये जाते हैं जो वजन घटाने में मदद करते हैं. इसके लिए आधे गिलास ताजे पानी में 4 चम्मच गोमूत्र, 2 चम्मच शहद तथा 1 चम्मच नींबू का रस मिलाकर नित्य सेवन करें.
गोमूत्र पाचन तंत्र को बेहतर करता है.
गोमूत्र के प्रयोग से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है. इसके लिए दर्द वाले स्थान पर गोमूत्र से सेंक करें और सर्दी में जोड़ों का दर्द होने पर एक ग्राम सोंठ के चूर्ण के साथ गोमूत्र का सेवन करें.
उच्च रक्तचाप होने पर एक चौथाई प्याले गोमूत्र में एक चौथाई चम्मच फूली हुई फिटकरी डालकर सेवन करें और दमा के रोगी को छोटी बछड़ी का 1 तोला गोमूत्र नियमित पीना लाभकारी होता है।
पीलिया में 15 दिन तक 200-250 मिली गोमूत्र पीने से लाभ होता है.
कब्ज या पेट फूलने पर गोमूत्र छानकर उसमें आधा चम्मच नमक मिलाकर पियें.
गैस की समस्या में प्रात:काल आधे कप गोमूत्र में नमक तथा नींबू का रस मिलाकर पिलाएं. पुराने गैस के रोग के लिए गोमूत्र को पकाकर प्राप्त किया गया क्षार भी गुणकारी है.
कब्ज की समस्या होने पर हरड़ के चूर्ण के साथ गोमूत्र सेवन करें.
चर्मरोग में नीम, गिलोय क्वाथ के साथ सुबह-शाम गोमूत्र का सेवन करने से रक्तदोषजन्य चर्मरोग नष्ट हो जाता हैं. इसके अलावा चर्मरोग होने पर ज़ीरे को महीन पीसकर गोमूत्र मिलाकर लेप करना भी लाभकारी है.
पेट में कृमि (कीड़े) होने पर आधा चम्मच अजवाइन के चूर्ण के साथ 4 चम्मच गोमूत्र एक सप्ताह तक सेवन करने से लाभ मिलता है.
गाय के मूत्र में पोटैशियम, सोडियम, नाइट्रोजन, फॉस्फेट, यूरिया, यूरिक एसिड होता है. दूध देते समय गाय के मूत्र में लैक्टोज की वृद्धि होती है, जो हृदय रोगियों के लिए लाभदायक है.
गौमूत्र में प्रति-ऑक्सीकरण की क्षमता के कारण डीएनए को नष्ट होने से बचाया जा सकता है.
गौमूत्र में पारद और गंधक के तात्विक गुण होते हैं.
गौमूत्र में नाइट्रोजन, सल्फर, अमोनिया, कॉपर, लौह तत्व, यूरिक एसिड, यूरिया, फॉस्फेट, सोडियम, पोटैशियम, मैगनीज, कार्बोलिक एसिड, कैल्सियम, विटामिन ए, बी, डी, ई, एंजाइम, लैक्टोज, सल्फ्यूरिक अम्ल, हाइड्रॉक्साइड आदि मुख्य रूप से पाए जाते हैं.