Homeगौवंशमंत्र

मंत्र

अथर्ववेद – ‘गावो भगो गाव इन्द्रो मे’ अर्थात गायें ही भाग्य और गायें ही मेरा ऐश्वर्य हैं.

अथर्ववेद – ‘भद्रम गृहं कृणुभ भद्रवाचो ब्रहद्वो वय उच्यते सभासु’ अर्थात मधुर बोली वाली गायें घर को कल्याणमय बना देती हैं. 

ऋग्वेद – ‘स्व आ दमे सुदुधा पस्य धेनु:’ अर्थात अपने घर में ही उत्तम दूध देने वाली गौ हो.

ऋग्वेद – ‘गाय का नाम दिति वधिष्ट’ अर्थात अघ्न्या गाय को कभी मत मार। 

अथर्ववेद – ‘गाव सन्तु प्रजा: सन्तु अथाअस्तु तनूबलम्’ अर्थात घर में गायें हों, बच्चे हों और शरीर में बल हो, ऐसी प्रार्थना की गयी है।

शतपथ ब्राह्मण – ‘सहस्रो वा एष शतधार उत्स यदगौ:’ अर्थात भूमि पर टिकी हुई जितनी जीवन संबंधी कल्पनाएं हैं उनमें सबसे अधिक सुंदर सत्य, सरस, और उपयोगी यह गौ है. 

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