Homeगौवंशसलमा की गौशाला: साम्प्रदायिक सौहार्द्र की मिसाल

सलमा की गौशाला: साम्प्रदायिक सौहार्द्र की मिसाल

लुधियाना (पंजाब) के पायल कस्बे में रहने वाली सलमा की गौशाला में तैंतीस से ज्यादा गायों को आश्रय प्राप्त है. इस गौशाला की नींव सलमा ने अगस्त 2007 में डाली थी। शुरुआत में सलमा एक लावारिस बूढ़ी गाय और फिर एक बैल अपने घर लेकर आईं. बैल का नाम रख दिया ‘नंदी’। कुछ दिन बाद दूसरी ऐसी गाय सड़क से घर ले आईं, उसका नाम ‘गौरी’ रखा. इस तरह एक-एक कर गायों की संख्या बढ़कर 33 हो गई। इस गौशाला की गायों को अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है- जगदंबा, पार्वती, मीरा, सरस्वती, राधा, लक्ष्मी, एजाजा, आंसू, जान, गुलबदन, कुमकुम, हनी आदि। इस तरह यह गौशाला साम्प्रदायिक सौहार्द्र की भी मिसाल बन गई है। गायों के साथ गहरा लगाव रखने वाली सलमा ने अपने निकाह की शर्त रखी कि वह उसी व्यक्ति से शादी रचाएंगी, जो गौशाला चलाने में उनकी मदद करेगा। जब कोई कहता है कि मुस्लिम होकर वह गौशाला कैसे चला सकती हैं, तब सलमा का जवाब होता है – पशु-पक्षियों का धर्म-सम्प्रदाय से क्या लेना देना।

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