राजस्थान गोपालन निदेशालय गौवंश के संरक्षण, संवर्धन और वृह्द स्तर पर नस्ल सुधार का कार्य कर रहा है.
निदेशालय के प्रमुख उद्देश्य हैं – गौशालाओं व चारागाहों की भूमि पर अन्य विभागों के सहयोग से वृहद स्तर वृक्षारोपण कर अधिक चारा उत्पादन करना. नवीनतम तकनीक द्वारा गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने हेतु प्रोत्साहित करना एवं राजकीय सहायता उपलब्ध करवाना. गौवंश तस्करी के प्रभावी नियंत्रण हेतु आवश्यक वैधानिक नियम तैयार कर कठोरतापूर्वक पालना करवाना. गायों एवं गौ उत्पादों के विपणन की व्यवस्था एवं सूचना तंत्र विकसित करवाना. गौशाला अधिनियम 1960 के अन्तर्गत गौशालाओं का पंजीकरण कर विभाग द्वारा देय अनुदान का लाभ लेने हेतु प्रोत्साहित करना.
राजस्थान गोपालन निदेशालय के अनुसार राज्य में कुल 1304 पंजीकृत गौशालाएं हैं, जिनमें लगभग 5.47 लाख गौवंश आश्रित हैं. उन्नत गौवंश नस्लों के संवर्धन एवं संरक्षण को ध्यान में रखते हुए ‘गौ-सेवा निदेशालय’ स्थापित करने का निर्णय लिया गया है.
राजस्थान में करीब 1.21 करोड़ गौवंश हैं, जहां नागौरी, थारपारकर, राठी, कांकरेज, गिर जैसी उत्तम देशी गौवंशीय नस्लें उपलब्ध हैं. प्रदेश के इस बहुमूल्य गोधन की दुग्ध उत्पादन क्षमता विश्व विखयात है. प्रदेश की प्रतिकूल भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद यहां के गौवंश द्वारा लम्बे अरसे से देश में रिकार्ड दुग्ध उत्पादन किया जा रहा है. देश व प्रदेश की आर्थिक व्यवस्था में पशुधन में गौवंश का एक महत्वपूर्ण स्थान है. यदि गोधन का वैज्ञानिक ढंग से संरक्षण व संवर्धन कर उचित दोहन किया जाये तो यह प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की काया पलट कर सकता है.