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मध्य प्रदेश में गौ-केबिनेट

मध्य प्रदेश में गौवंश के संरक्षण और संवर्धन के लिए गौ-केबिनेट के गठन किया गया है. इस केबिनेट में पशुपालन, वन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, राजस्व, गृह और कृषि विकास एवं किसान कल्याण विभाग को शामिल किया गया है.  

कृषि में खाद्यान्न के उत्पादन और कृषकों को फसलों का उचित मूल्य दिलाने के साथ गौ पालन की अहम भूमिका है. कृषि कार्य में संलग्न कृषकों को पशुपालन के लिए काफी समय मिलता है. ‘गौ-केबिनेट’ से गौ पालन की दिक्कतें दूर होंगी और इसे आर्थिक रूप से उपयोगी बनाने की दिशा में योजनाओं और कार्यक्रमों को गति मिलेगी. साथ ही गौधन के संरक्षण और संवर्धन के लिए उपायों को अपनाया जायेगा.

मध्यप्रदेश में गौ-केबिनेट के गठन से पशुपालक, गौ-सेवकों, कृषकों और खेतिहर श्रमिकों के आर्थिक कल्याण की संभावनाएं बढ़ेंगी. भारतीय संस्कृति में गौ सेवा का प्रमुख स्थान है. आज भी लाखों परिवार घर में बनी पहली रोटी गौ माता को खिलाते हैं. गौ-माता के दूध से निर्मित घी और गाय के गोबर का पूजा अनुष्ठान में विशेष महत्व है. मध्यप्रदेश सरकार ने गौ-शालाओं के विकास के लिए भी महत्वपूर्ण कदम उठाएं हैं.

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गौ-केबिनेट के लिए आगर-मालवा जिले में स्थित गौ-अभ्यारण का चयन किया है. यह भारत में प्रारंभ होने वाला प्रथम गौ-अभ्यारण है. मध्यप्रदेश में गौ-सेवकों को गौ-शालाओं के संचालन के लिए सहायता दी गई. साथ ही अशक्त और अस्वस्थ गायों के लिए उपचार और पोषण की व्यवस्थाएं भी की गईं. गौ-सेवा आयोग के माध्यम से विभिन्न गतिविधियां आयोजित कर गौ- शालाओं के विकास के लिए सहयोग किया गया.

मध्यप्रदेश में छह विभाग मुख्य रूप से गौ-केबिनेट निर्णयों के क्रियान्वयन को अंजाम देंगे. गाय के गोबर के कंडों का उपयोग भी किस तरह बढ़े, इस दिशा में कार्य योजना को लागू किया जाएगा. छह विभागों की सक्रियता से क्रियान्वयन के स्तर पर कठिनाई नहीं होगी. समन्वय से कार्य पूरे किए जाएंगे. वर्तमान में गौ-काष्ठ के निर्माण को प्रोत्साहन मिल रहा है. इस उत्पाद के विपणन के नये आयामों पर विचार किया जाएगा. इसी तरह गौ-दुग्ध से निर्मित अन्य वस्तुओं के विपणन के लिए भी प्रयास होंगे.

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