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प्रशिक्षण केंद्र

गाय जीवन और जीविका दोनों के लिए उपयोगी है. गौपालन से स्वरोज़गार के नए अवसर प्राप्त होते हैं. गाय के गोबर और गौमूत्र से सैकड़ों प्रकार के उत्पाद तैयार किये जा सकते हैं. जैविक कृषि से लेकर चिकित्सा और दैनिक उपयोग की वस्तुएं बनाई जा सकती हैं. इसके लिए देश भर में प्रशिक्षण केंद्र काम कर कर रहे हैं. इस कोर्स को सीखने के लिए किसी प्रकार की पात्रता की आवश्यकता नही है.

गाय जब दूध देने योग्य नहीं रहती, या कम दूध देती है तब  गोपालक उन्हें कसाई को बेच देते हैं, अथवा उन्हें मरने के लिए सड़कों पर लावारिस छोड़ देते हैं; लेकिन बिन दुधारू गाय भी उपयोगी होती है. उसके गोबर और मूत्र से अनेक प्रकार के उत्पाद तैयार किये जा सकते हैं. जिससे रोज़गार के नए अवसर खुलते हैं और गोपालक आत्मनिर्भर होता है, लेकिन व्यापक प्रचार-प्रसार न होने के कारण लोगों में इसकी उपयोगिता के बारे में जागरूकता का अभाव है.   

हालांकि राज्य सरकारों द्वारा समय-समय पर गोपालकों को गोमूत्र और गाय के गोबर से उत्पाद बनाने के लिए प्रेरित किया जाता है. 

जैविक खेती में प्रयोग के लिए गाय के गोबर की खाद, बायोगैस, गोमूत्र कीटनाशक के अलावा आयुर्वेदिक औषधियां, गोमूत्र अर्क, फ़िनायल, मूर्तियाँ, पेंट, लकड़ी के लट्ठे, चूड़ियाँ, गमले, माला, अगरबत्ती जैसे सैकड़ों प्रकार के उत्पाद बनाये जाते हैं. जिनके द्वारा व्यक्ति आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो सकता है. 

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