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जैविक कृषि से भूमि की गुणवत्ता में सुधार

खेती में रासायनिक खादों और कीटनाशकों के उपयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति कम होती जा रही है. भूमि के क्षरण से जल धारण क्षमता का ह्रास हो रहा है. जबकि जैविक कृषि से भूमि की गुणवत्ता में सुधार होने के साथ – साथ भूमि से पानी का वाष्पीकरण कम होगा और भूमि के जल स्तर में वृद्धि होगी.

जैविक कृषि में जैविक खाद और प्राकृतिक कीटनाशकों का इस्तेमाल किया जाता है. जो हमें गोवंश प्रदान करता है. गाय के गोबर से बनी खाद सर्वश्रेष्ठ होती है. इससे भूमि को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होता है. इसके अलावा गौमूत्र से बने कीटनाशक काफ़ी प्रभावी होते हैं और इससे फ़सल को कोई नुकसान भी नहीं पहुँचता. 

जैविक कृषि से मिट्टी के जैविक गुण और उपजाऊपन को बढ़ाया जा सकता है. 

प्राचीन काल से ही कृषि के साथ-साथ गौ पालन किया जाता रहा है. परन्तु बदलते परिवेश में गोपालन धीरे-धीरे कम हो गया है और कृषि में तरह-तरह की रसायनिक खादों तथा कीटनाशकों का प्रयोग होने से वातावरण प्रदूषित होकर  मानव जीवन को प्रभावित कर रहा है.

जैविक कृषि द्वारा रसायनिक खादों और ज़हरीले कीटनाशकों के स्थान पर जैविक खादों और कीटनाशकों का उपयोग कर अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है, इससे भूमि, जल और वातावरण शुद्ध रहेगा और मनुष्य सहित सभी  जीवधारी स्वस्थ रहेंगे.

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