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जैविक कृषि के बारे में किसान जागरूक हों

जैविक कृषि के बारे में किसानों में जागरूकता ज़रुरी है. किसान अधिक से अधिक पैदावार पाने के लिए विभिन्न प्रकार के कीटनाशक और रासायनिक तत्वों का अंधाधुंध प्रयोग करता आ रहा है. धीरे-धीरे किसान इन रासायनिक तत्वों पर निर्भर होते चले गए. इसका दुष्परिणाम ये हुआ कि मिट्टी की उर्वरता घटती चली गई. इसके अलावा ज़हरीले कीटनाशकों का दुष्प्रभाव मनुष्य के स्वास्थ्य पर भी हो रहा है. जैसे जैसे रासायनिक उर्वरकों की मात्रा बढ़ती गई, वैसे वैसे उत्पन्न होने वाले खाद्यानों और सब्जियों में पोषकता घटती चली गई. इसलिए वैज्ञानिकों ने जैविक खेती की तरफ कदम बढ़ाया है. जैविक खेती में किसी भी तरह का कोई रासायनिक कीटनाशक का प्रयोग न करके जैविक खादों का प्रयोग किया जाता है.

हालाँकि रासायनिक खाद और कीटनाशकों से पहले के समय में किसान गोबर सहित तमाम तरह की कूड़े कचरे से कंपोस्ट खाद का इस्तेमाल किया करता था, जिससे मिट्टी की उर्वरता में इजाफ़ा होता था और स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव नहीं पड़ता था. 

जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 1972 में स्थापित इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ ऑर्गेनिंक एग्रीकल्चर मूवमेंट नाम की अंतर्राष्ट्रीय संस्था ने जैविक कृषि को परिभाषित करते हुए कहा था “जैविक कृषि उत्पादन की एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें मिट्टी के स्वास्थ्य के साथ-साथ आम लोगों को भी स्वास्थ्य बना रहता है। यह पारिस्थितिकी प्रक्रियाओं, जैव विविधता और प्रतिकूल प्रभावों के साथ खेती के बजाय स्थानीय स्थितियों के अनुकूल चक्रों पर निर्भर करता है तथा जैविक कृषि परंपरागत और विज्ञान को साझा पर्यावरण का लाभ लेने के लिए उन्हें उचित संबंधों को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करता है।

बीज बोने से पहले खेत तैयार करने से लेकर फसल काटने तक के समय में कई ऐसे मौके आते हैं, जब किसान तरह-तरह के रसायनिक तत्वों तथा कीटनाशकों का प्रयोग करता ताकि बोए जाने वाले बीजों में कोई समस्या न हो. वह आसानी से अंकुरित होकर बाहर निकल सके. जब बीज अंकुरित हो रहे होते हैं तो उसी समय कई प्रकार के खरपतवार भी उग रहे होते है. इन खरपतवारों को नष्ट करने के लिए पारंपरिक किसान कई प्रकार के ‘वीडिसाइड्स’ यानी खरपतवार नाशी का प्रयोग करते हैं, जबकि जैविक कृषि करने वाला किसान उन खरपतवारों को हाथ से निकालता है.

हालाँकि ये काफी मेहनत का काम होता है लेकिन इससे न तो मिट्टी को, न मनुष्य को और न ही पर्यावरण को किसी प्रकार का कोई नुकसान होता है.

आम लोगों में ये धारणा होती है कि जैविक कृषि से प्राप्त फसलों की कीमत ज्यादा होती है, पर ऐसा नही है. बल्कि जैविक कृषि से प्राप्त फसलों और सब्जियों की कीमत कम होती है क्योंकि इसकी लागत भी कम होती है.

अच्छा पोषण मिलना हर मनुष्य के लिए जरूरी होता है. दरअसल पोषक तत्व किसी मनुष्य को शारीरिक रूप से विकसित होने में सबसे ज्यादा अहम भूमिका निभाते हैं. पोषक तत्वों की कमी से कई बार बच्चों का सम्पूर्ण विकास ठीक से नही हो पाता है.

जैविक कृषि से प्राप्त खाद्यान और सब्जियों से बने भोजन अत्यंत स्वादिष्ट होते हैं.  

बहुत सारे किसानों को जैविक खेती के बारे में पता ही नहीं है. इसलिए इस बारे में किसानों को जागरूक किया जाना चाहिए. 

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