‘जैविक कृषि’ ऐसी प्रणाली से है, जिसमें रासायनिक खादों और कीटनाशक दवाओं का प्रयोग नहीं होता है, बल्कि उसके स्थान पर जैविक खाद या प्राकृतिक खादों का प्रयोग किया जाता है। अधिक-से-अधिक उत्पादन के लिए तरह-तरह की रासायनिक खादों, ज़हरीले कीटनाशकों के उपयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति ख़राब हो जाती है। साथ ही, वातावरण दूषित होने से मनुष्य के स्वास्थ्य में भी गिरावट आती है।
जैविक कृषि से भूमि की उर्वरता में सुधार होने के साथ ही पर्यावरण प्रदूषण भी कम होता है। जैविक विधि द्वारा खेती करने से उत्पादन लागत कम होती है और आय अधिक प्राप्त होती है।
जैविक कृषि में गो वंश की अत्यंत महत्ता है। गोमूत्र और गाय के गोबर से सस्ती तथा सर्वश्रेष्ठ खाद बनाई जाती है।
गोमूत्र और गोबर से बनी खाद जमीन की उपजाऊ शक्ति को बनाए रखती है। गोमूत्र और गोबर की खाद से पैदा होने वाली सब्ज़ियां और फ़सल रासायनिक खाद के मुकाबले स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्धक होती हैं। इसका इस्तेमाल करने से मनुष्य कीटनाशक के ज़हर से बच जाते हैं। कृषि वैज्ञानिक भी मानते हैं कि रासायनिक खादों और कीटनाशकों के इस्तेमाल से नष्ट हुई ज़मीन की उपजाऊ शक्ति का एकमात्र विकल्प गोबर और गोमूत्र की खाद है।
गोमूत्र और गोबर से बनी खाद प्रदूषण रहित और सस्ती है, इसके लिए किसान को परावलंबी नहीं रहना पड़ता|
किसानों को जैविक कृषि के लाभों से अवगत कराकर इसे बढ़ावा दिया जाना चाहिये और उन्हें भविष्य में इसमें व्याप्त संभावनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिये प्रेरित करना चाहिये।
पर्यावरण संबंधी लाभ के साथ-साथ स्वच्छ, स्वस्थ, गैर-रासायनिक उपज किसानों और उपभोक्ताओं दोनों के लिये लाभदायक है। जैविक कृषि भारतीय कृषि क्षेत्र के विकास के लिये काफी अधिक महत्त्वपूर्ण है।