गौ माता की सेवा हमारे देश के समाज के संस्कार का माध्यम
किसी भी देश के समाज की पहचान उसकी संस्कृति से होती है और संस्कृति बनती है संस्कारों से। भारत की सनातन संस्कृति में गौ माता की सेवा हमारे देश के समाज के संस्कार का माध्यम थी जिसमें हम प्रेम, स्नेह और समर्पण का संस्कार ग्रहण करते थे।
एकल अभियान की गौ ग्राम योजना के उद्घाटन अवसर पर 22 नवम्बर गोपाष्टमी को गोवर्धन तीर्थ क्षेत्र में दीदीमां साध्वी ऋतम्भरा के बताये गए इस संस्कार का असर का अब देश के कई हिस्सों में दिखने लगा है। अब समाज में यह भावना जोर पकड़ने लगी है कि गाय बिकेगी नहीं तो कटेगी नहीं।
गाय भारतीय संस्कृति का मूलाधार है। 33 कोटि देवताओं का वास अपने भीतर रखने वाली गौ माता की पीड़ा को योजनाबद्ध तरीके से दूर करने के लिए ‘श्री हरी सत्संग समिति’ द्वारा संचालित एकल अभियान ने गौ ग्राम योजना बनाई है। इस गौ ग्राम योजना के प्रथम चरण की शुरुआत अप्रैल 2021 से झारखंड राज्य से की जाएगी। वनवासी बहुल 8 हजार गावों के 8 लाख परिवारों को 8 लाख गायें दी जाएंगी। दूध ना देने वाले गौवंश को पालने वाले गौ पालक को गौ उत्पाद निर्माण का प्रशिक्षण शुरुआत में एकल अभियान द्वारा संचालित एकल विद्यालय में दिया जाएगा। गौ ग्राम योजना से असंख्य गौशालाओं पर खर्च होने वाली राशि बचेगी।
गौ ग्राम योजना में सहयोग करने के लिए दिल्ली, कलकत्ता, मुंबई, नागपुर, मध्यप्रदेश, राजस्थान और उड़ीसा आदि में कार्यरत गौ प्रेमी संस्थाएं आगे आई हैं। इन सभी शहरों और राज्यों में गौ पालकों को गौ उत्पाद निर्माण का विधिवत प्रशिक्षण देने की सुविधा उपलब्ध है और गौशाला की बिन दुधारू गायें दत्तक ग्रहण कर किसानों व गौ पालकों को दी जाने लगी हैं।एकल गौ ग्राम योजना के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुनील मानसिंहका ने बताया कि देशभर में गौ विज्ञान अनुसंधान केंद्र, गायत्री परिवार, आर्ट ऑफ़ लिविंग, वनवासी कल्याण आश्रम, सूर्या फाउंडेशन, इस्कॉन आदि संस्थाओं के सहयोग से इस योजना को आगे बढ़ाया जा रहा है। प्रशिक्षण के दौरान गौ पालक, वनवासी और किसानों को गौ आधारित कृषि, गौ आधारित ऊर्जा, गौ आधारित मानव चिकित्सा, गौ एवं कृषि आधारित ग्रोमोद्योग, गौसंवर्धन एवं नस्ल सुधार का प्रशिक्षण भी दिया जाता है।