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गाय के गोबर से पर्यावरण सुरक्षा

पृथ्वी पर पर्यावरण सुरक्षा की एक विकट समस्या है. ग्लोबल वॉर्मिंग के गंभीर असर से संपूर्ण विश्व चिंतित है. शुद्ध वायु और ऑक्सीजन का संकट दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, जो जीवन के लिए बहुत बड़ा ख़तरा है. शुद्ध वायु प्राप्त करने के लिए पेड़ लगाना अत्यंत आवश्यक है। अधिक से अधिक पेड़ लगाने से जल संकट एवं दूषित वायु के दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है. 

पर्यावरण की सुरक्षा में गोवंश की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका रही है, इसलिए पर्यावरण को बचाने के लिए गौसंरक्षण  आवश्यक है.

पर्यावरण संरक्षण में गौवंश का 

भारतीय कृषि परंपरा में गौवंश का गोबर युगों से खाद के रुप में प्रयुक्त होता आया है. गौवंश से ‘बाय प्रोडक्ट’ के रुप में, बिना किसी खर्च के चौबीस घंटों में मिलने वाला गोबर कृषि भूमि को सर्वश्रेष्ठ पोषण प्रदान करता है. गाय के गोबर से बनी खाद का खेती में इस्तेमाल करने से प्रदूषण रहित और पर्यावरण को कोई हानि पहुँचाये बिना पौष्टिक व शुद्ध अनाज प्राप्त होता है.  

गौवंश की अंधाधूंध कत्ल के कारण गोबर की खाद की बेहद कमी हो गई है. विकल्प के रुप में किसान खेती के लिए रासायनिक खाद का इस्तेमाल करते हैं, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति का ह्रास होता है. इस खाद से भूमि में गहराई तक जा कर उसके रसायन भूगर्भ जल को प्रदूषित करते हैं, खेत में बिखेरने पर वायु प्रदूषित होती है और उसके उपयोग से उत्पन्न अनाज भी प्रदूषित होता है, स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. 

कारखानों में बनने वाले अत्यंत ज़हरीले कीट नाशक भयंकर प्रदूषण फैलाते हैं. उनके उत्पादन से जुड़े किसानो की सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है. जब ये ज़हरीले कीट नाशक खेतों में अनाज सब्जियों और फलों पर छिड़के जाते हैं तब ये उनको प्रदूषित करते हैं और  जहरीले भी बनाते हैं.  छिटकाव क्रिया के दौरान वायू प्रदूषित होती है. 

गोबर का एक महत्वपूर्ण उपयोग ईंधन के रुप में है. गौवंश प्रतिदिन 12 से 15 किलो गोबर देता है. इस गोबर से कंडे बनाये जाते हैं. इन कंडो का उपयोग रसोई पकाने के लिए ईंधन के रुप में किया जाता है. मुफ़्त मिलने वाले इस ईंधन का उत्पादन सर्वथा प्रदूषण मुक्त है, जबकि पेट्रोलियम उत्पादों आधारित ईंधन-मिट्टी का तेल या रसोई-गैस के उत्पादन के साथ जुड़े प्रदूषण के बारे में सभी जानते हैं। गोबर के ईंधन से पैसों की बचत तो होती ही है, साथ ही प्रदूषण से मुक्ति मिलती है और पर्यावरण की भी सुरक्षा होती है।

गोबर का ईंधन के रुप में उपयोग करने से ईंधन के लिए काटे जाने वाले जंगल की रक्षा होती है. एक पशु के गोबर से बनने वाले कंडे, ईंधन के लिये काटे जाने वाले 6 वृक्षों को बचाते हैं. पर्यावरण सुरक्षा में गोवंश के सिर्फ़ गोबर का ही अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान है. 

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