इंसान की ग़लतियों का खामियाज़ा हमारी गौमाताएं भुगत रहीं हैं। भारत के छोटे बड़े शहरों में इधर-उधर भटकती गायें और आवारा घूम रहे गौवंशों में से 95 प्रतिशत पशु अपने पेट के अंदर खतरनाक सामग्री के कारण विभिन्न बीमारियों से पीड़ित हैं, उनमें से 90 प्रतिशत प्लास्टिक बैग हैं जो मनुष्यों द्वारा खाद्य पदार्थ भरकर कचरे के ढेर पर फेंक दिया जाता है। गायों के पेट से भारी मात्रा में जहरीला कचरा निकल रहा है। इसमें न सिर्फ पॉलिथीन की थैलियां बल्कि प्लास्टिक की बोतलों के ढक्कन, लोहे की कीलें, सिक्के, ब्लेड, सेफ्टी पिन, पत्थर और मंदिरों में चढ़ावे से निकला कचरा भी शामिल है। डॉक्टरों के मुताबिक गायों के पेट में कचरे का जमाव बेहद सख्त होता है जिसे काटकर बाहर निकालने के लिए कर्इ बार आरी की मदद भी लेनी पड़ती है। शहर में घूम रही गायें हर दिन प्लास्टिक खा रही हैं। पेट में जब अधिक प्लास्टिक जमा हो जाता है तो वह दम तोड़ दे रही हैं। दो साल में हुए पोस्टमार्टम की रिपोर्ट को जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे। छह सौ गायों की मौत के बाद पशु विभाग द्वारा कराए गए पोस्टमार्टम में एक हजार किलो प्लास्टिक निकला है। पशु स्वास्थ्य को लेकर यह गंभीर मामला है जिसे लेकर डॉक्टरों ने भी रिपोर्ट दी है।