उद्देश्य
- गो संरक्षण और संवर्धन के लिए देश भर में सकारात्मक माहौल बनाना
- बिनदुधारू, बूढ़ी, बीमार और लावारिस गोवंश के संरक्षण-संवर्धन के लिए ‘गोआश्रय स्थलों’ की जानकारी देना
- बिनदुधारू, बूढ़ी गाय की उपयोगिता बताना
- गौ उत्पाद और रोज़गार के अवसरों की जानकारी देना
- केंद्र और राज्य सरकारों की योजनाओं से अवगत कराना
- चरागाह की ज़मीन को मुक्त कराना
- गोवध निवारण अधिनियम को प्रभावी बनाने के लिए जन जागरण\
- देश भर में गौ सेवा को समर्पित विभिन्न संस्थाओं के साथ मिलकर गौ संरक्षण – संवर्धन के लिए कार्य करना
‘गो संरक्षण-गो संवर्धन के 10 सूत्र’
- गौ हत्या को पूर्ण रूप से बंद किया जाए.
- गौ हत्या, गौ मांस खाने वाले तथा पशुओं की तस्करी करने वालों को कड़ी-से-कड़ी सज़ा मिले.
- किसी मनुष्य के हत्यारे के लिए जिस सज़ा का प्रावधान है वही सज़ा गौ हत्यारे को भी मिले.
- बिनदुधारू, बूढ़ी, बीमार और लावारिस गोवंश की देखभाल के लिए पूरे देश में अधिक से अधिक आश्रय स्थलों की व्यवस्था की जाए.
- अधिक से अधिक ‘गो उत्पाद प्रशिक्षण केंद्र’ खोले जाएं, जहाँ प्रशिक्षण पाकर गोपालक आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकें.
- गाय के गोबर और गौमूत्र से बनाये जाने वाले उत्पादों को बढ़ावा दिया जाए. गौ उत्पादों की उपयोगिता और गुणवत्ता से लोगों को परिचित कराया जाए.
- गोचर भूमि को विकसित किया जाए और चरागाहों को अवैध कब्ज़ों से मुक्त कराया जाए.
- ‘गो संरक्षण-गो संवर्ध के लिए कार्य करने वाले सामजिक सगठनों को सरकार अनुदान दे.
- गौ संवर्धन साहित्य का प्रचार-प्रसार किया जाए.
- सभी स्कूलों में ‘गो संरक्षण-गो संवर्धन’ विषय को शिक्षा से जोड़ा जाए, जिससे वर्तमान पीढ़ी तथा आने वाली पीढ़ी में गायों के प्रति प्रेम तथा सम्मान की भावना जागृत की जा सके.